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करौली में बर्ड फ्लू से 5 पक्षियों के मरने की हुई पुष्टि, 'आमजन को डरने की जरूरत नहीं'

कोरोना के दौर में बर्ड फ्लू ने भी राजस्थान में पैर पसार लिए हैं. करौली में अब तक 15 पक्षियों की मौत हो चुकी है. पक्षियों के मौत की पुष्टि भी पशुपालन विभाग ने कर दिया है. बर्ड फ्लू के बढ़ते कहर को देखते हुए पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉक्टर खुशीराम मीणा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. साथ ही बताया कि बर्ड फ्लू क्या है और पक्षियों व मानव जीवन पर इसका क्या और कैसे प्रभाव पड़ेगा.

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Published : Jan 14, 2021, 1:40 PM IST

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'आमजन को डरने की जरूरत नहीं'

करौली.बर्ड फ्लू का कहर करौली में भी देखा गया. अब तक करौली में कुल 15 पक्षियों की मौत हो चुकी है. इनमें से जांच के लिए भोपाल भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक 5 पक्षियों की मौत बर्ड फ्लू से हुई है. ऐसे में बर्ड फ्लू को देखते हुए पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक खुशीराम मीणा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू को लेकर करौली जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है. साथ ही आपातकाल मानते हुए कर्मचारियों के अवकाश भी निरस्त कर दिए गए हैं.

'आमजन को डरने की जरूरत नहीं'

सयुंक्त निदेशक डॉक्टर खुशीराम मीणा ने बताया कि बर्ड फ्लू से संबंधित जिन पक्षियों की रिपोर्ट मिली हैं, वह सपोटरा उपखंड के मीना माडा गांव से आई है. वहां पर सात पेंगा पक्षी मृत मिले थे. उसके बाद बर्ड फ्लू के चलते पांच पक्षियों की सैंपल रिपोर्ट वन विभाग के समन्वय से भोपाल भेजी गई थी, जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. यानी की करौली में बर्ड फ्लू से पक्षियों के मौत की पुष्टि हो चुकी है. निदेशक ने बताया कि जहां पर यह बीमारी मिली है, वहां पर पशुपालन विभाग ने टीम बना दिया है. साथ ही 1 प्रतिशत सोडियम हाइफोक्लोराइड का छिड़काव करवाया गया है. विभाग की ओर से आरआरटी टीम का गठन किया गया है. टीम को जैसे ही पक्षियों के मरने की सूचना मिलती है, वह तुरंत वहां पहुंचती है और उनका निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से करती है.

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डॉक्टर खुशीराम मीणा ने बताया कि करौली जिला मुख्यालय पर कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है. रूम के कर्मचारी प्रत्येक ब्लॉक लेवल की रोजाना रिपोर्ट लेकर निदेशालय पशुपालन विभाग जयपुर को भेजते हैं. बर्ड फ्लू का जो स्टेन आया है, वह ज्यादा पेथोजेनिक नहीं है. यानी कि घातक नहीं है. यह H5N8 वाला स्टेन है. इससे लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. निदेशक ने कहा कि इस स्टेन का संक्रमण पक्षियों से मानव में नहीं फैलत. करौली जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग के निर्देशन में विभाग की बैठक भी आयोजित हो चुकी है. कलेक्टर के निर्देशानुसार पशुपालन विभाग की टीम कार्य कर रही है. विभाग के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए दस्ताने, पीपीई कीट और सेनेटाइजर उपलब्ध करवाई गई है. 100 पीपीई कीट चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने उपलब्ध करवाई है, जिनको सभी ब्लॉक लेवल और लैब में भेज दिया गया है.

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पशुपालन विभाग के निदेशक ने बताया कि करौली में अब तक 15 पक्षियों की मौत हो चुकी है. इनमें से पांच पक्षियों की पुष्टि वर्ल्ड फ्लू की हुई है. जबकी और जगह पर जो पक्षी मरे हैं, उनकी मौत सर्दी की वजह से होने की संभावना है. निदेशक ने कहा कि अब तक आठ पेंगा पक्षी, एक तोता, तीन बोरिया पक्षी और एक कोयल की मौत हुई है. करौली में एक भी रजिस्टर्ड पोल्ट्री फॉर्म नहीं है. निदेशक ने बताया कि मुर्गियों में बर्ड फ्लू बीमारी की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है.

क्या है एवियन इन्फ्लूएंजा?

  • बर्ड फ्लू एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है जो इन्फ्लुएंजा प्रकार ए वायरस के कारण होती है.
  • यह आमतौर पर मुर्गियों और टर्की जैसे पोल्ट्री पक्षियों को प्रभावित करती है.
  • पक्षी आमतौर पर वायरस के वाहक होते हैं. यानि जो इसे लंबी दूरी तक ले जाते हैं, जिससे महाद्वीपों में बड़ी एवियन आबादी प्रभावित होती है.
  • वायरस के कई स्ट्रेन हैं और उनमें से ज्यादातर हल्के हैं और केवल मुर्गियों में कम अंडा उत्पादन या अन्य हल्के लक्षण पैदा कर सकते हैं.
  • कुछ गंभीर और घातक हैं, जो बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत का कारण बनते हैं.
  • पक्षियों में जो लक्षण आते हैं, वह निमोनिया जैसे होते हैं.
  • निमोनिया में पक्षियों के मुंह से लार आना और तिलगीदार पक्षियों की तिंलगी काली पड़ जाती हैं. फिर पक्षी सुस्त हो जाता है और मौत हो जाती है.
  • यह एक प्रकार की खासी, जुकाम और बुखार जैसी बीमारी है.

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