जोधपुर.जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था उन्नती ने जोधपुर में आयोजित दो दिवसीय वाटर लीडर कन्वेंशन में ऐसे वाटर लीडर्स को सम्मानित किया जो गांवों में पानी को सहेजने का काम करते हैं. संस्थाओं के साथ मिलकर गांवों में शामलात पद्धति यानि कि सहकारिता के भाव के साथ जल एवं पर्यावरण के लिए काम करने वाले 350 वाटर लीडर्स को यहां सम्मानित किया गया. पानी बचाने वाले इन सभी की अपनी-अपनी कहानियां हैं. खास तौर से महिलाएं जिन्होंने जल सहेली बनकर गांवों में जागरूकता फैलाई और युवाओं ने तालाब में पानी आने के रास्ते साफ किए. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इन लीर्डस के कामों को तारीफ की है.
पूरे साल बहती है बरसाती नदी :दौसा के छज्जूलाल गुर्जर 17 सालों से करौली जिले में पानी के लिए काम कर रहे हैं. पानी की परेशानी होने से लोग डकैत बन गए थे. करौली के मासलपुर तहसील के गांवों में छज्जूलाल गुर्जर ने संस्थाओं के सहयेाग से काम शुरू किया. इसमें गांव वालों को भी शामिल करते हैं, उनको समझाते हैं. कुल खर्च का एक हिस्सा गांव वाले देते हैं, बाकी संस्थाएं देती हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए छज्जूलाल ने बताया कि सेरणी नदी जो सिर्फ बरसाती नदी थी, वह आज मासलुपर इलाके में अब 12 महीने बहती है. इसके आसपास हमने 300 तालाब एनीकट बनाए. बड़ी संख्या में पूरे क्षेत्र में पौधारोपण किया है.
तालाब विकसित करने के लिए बनाए प्लान : नागौर के धन्नाराम ने बताया कि नागौर में ज्यादातर वर्षा आधारित ही खेती होती है. हमारा प्रयास है कि पुराने तालाबों को पुर्नजीवित करें, उनका संरक्षण करें. जल सहेली समूह बनाकर (Rain Based Farming in Nagaur) उनको प्रतिनिधित्व दिया गया. साथ ही नरेगा से तालाब को विकसित किया जा सकता है. इसके प्रावधान भी किए गए हैं. तालाब में जिस भूमि से पानी आता है, उसे अंगोर कहते हैं. इसकी सफाई रखने के लिए युवाओं के साथ बैठकर योजनाएं बनाई. कैचमेंट के इलाके पर कोई कब्जा नहीं हो, इसके लिए भी जागरूकता बढ़ाई. तालाब के आसपास पेड़ लगाए गए. उनका संरक्षण किया गया. स्कूल के बच्चे इसके लिए समझें, इसके लिए भी काम किया.