जोधपुर (भोपालगढ़).कृषि विभाग से संबंधित उद्यान विभाग के अधिकारियों ने भोपालगढ़ उपखंड क्षेत्र के पालड़ी राणावता गांव में एक महिला किसान द्वारा वर्मी कम्पोस्ट इकाई स्थापित का निरीक्षण कर आसपास क्षेत्र के किसानों को खेती में वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करने की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई थी.
वहीं, कृषि पर्यवेक्षक ने वर्मी कम्पोस्ट खाद की लाभदायक जानकारी किसानों को देते हुए कहा कि केवल रासायनिक उर्वकों का प्रयोग करते रहने से भूमि मे पोषक तत्वों के बीच असंतुलन उत्पन्न हो रहा है. इसको दूर करने के लिए रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक खाद का प्रयोग करना भी एक विकल्प है. ऐसी ही जैविक खाद में एक है वर्मी कम्पोस्ट.
दरअसल, बेकार वनस्पति पदार्थों और गोबर को दो महीने की अल्पावधि में ही कीमती जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट में बदल सकते है. इसमे केंचुओं की आवश्यकता होती हैं. यह केंचुए दो प्रकार के होते है. एक गहरी सुरंग बनाने वाले और दूसरे सतही केंचुए. केंचुओं की कांस्टिंग, उनके अवशेष, पोषक तत्व और अपचित जैविक इत्यादि पदार्थों के मिश्रण ही वर्मी कम्पोस्ट होता है. उपयुक्त तापमान, नमी, हवा, गोबर और वनस्पति अवशेष आदि को सड़ाकर जैविक खाद के रूप में परिवर्तित करते है. वर्मी कम्पोस्ट में फास्फोरस और पोटाश के अलावा कई सूक्ष्म पौषक तत्व पाये जाते है.