राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

जोधपुर : शहीदों के घर की मिट्टी के लिए 1.20 लाख किमी का किया सफर...शहादत को सलाम

देश से प्रेम करने के भी कई तरीके हैं. सीमा पर जवान देश प्रेम में ही अपनी जान कुर्बान कर देता है. देश से प्रेम तो सभी करते हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपने देश प्रेम के जज्बे को अलग ही अंदाज में पेश करते हैं. बेंगलुरू से उमेश गोपीनाथ जाधव (Patriot Umesh Gopinath Jadhav) ने एक अनूठी यात्रा निकाली है. क्या है ये यात्रा, पढ़िये इस खबर में..

Unique visit to honor martyrs reached Jodhpur, Journey to the soil of the martyrs, Shaheed Mitti Yatra reached Jodhpur, Shaheed Mitti Yatra reached Jodhpur, Patriot Umesh Gopinath Jadhav, उमेश गोपीनाथ जाधव
शहीदों की मिट्टी के लिए सफर कर रहे उमेश गोपीनाथ

By

Published : Dec 5, 2020, 5:08 PM IST

जोधपुर. विश्व युद्ध के शहीद हों या पुलवामा हमले के शहीद, कारगिल वार में जान गंवाने वाले हों या फिर सीमा पर जान कुर्बान करने वाले देश के जांबाज...हम देशवासी कुछ दिन उन वीर शहीदों को याद रखते हैं, और फिर उनकी शहादत बिसरा दी जाती है. लेकिन एक युवा ऐसा है जो अपने दिल में इन वीर शहीदों की कुर्बानी को इस कदर संजोए हुए है कि वह शहीदों के गांव पहुंचकर उनके घर की मिट्टी इकट्ठी कर रहा है. बेंगलुरू से चले उमेश गोपानाथ जाधव की इस कोशिश को सलाम.

शहीदों के सम्मान में अनोखी यात्रा

पढ़ें-भरतपुर: शहीद नसूबेदार राजेंद्र गुर्जर को नम आंखों से दी अंतिम विदाई, सैनिकों ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर

100 शहीदों के घर की मिट्टी इकट्ठी कर चुके गोपीनाथ

देश के शहीदों को सम्मान देने के लिए गोपीनाथ जाधव ने जो अभियान शुरू किया था, वह अनूठी मुहिम अब पूर्ण होने के करीब है. बेंगलुरू से 9 अप्रैल 2019 को निकले उमेश गोपीनाथ जाधव ने देश के शहीदों की भूमि से मिट्टी एकत्र करनी शुरू की थी. अब तक 100 शहीदों के यहां से मिट्टी एकत्र कर चुके हैं. इस दौरान वे 70 हजार किलोमीटर का सफर कर चुके हैं. बीते वर्ष 21 नवम्बर को वे जोधपुर (Shaheed Mitti Yatra reached Jodhpur) आये थे. यहां से आगे के राज्यो में गए थे. अब वापसी में एक साल से भी ज्यादा समय के बाद शुक्रवार शाम को वह जोधपुर पहुंचे जाधव ने बताया कि अगले वर्ष अप्रैल में यह यात्रा गुजरात के कच्छ के रण (Martyr soil journey concludes in the Rann of Kutch) में पूरी होगी.

पढें-ऋषिकेश : शहीद पिता के अंतिम संस्कार में आंसू रोककर बेटी बोली 'वंदे मातरम'

कोरोना के कारण रोकना पड़ा था अभियान

एकत्र की गई मिट्टी को उमेश कलश में भरकर अपनी कार के पीछे लगाई गई ट्राली में रखते हैं. जाधव ने बताया कि कोरोना के चलते उन्हें लंबे समय तक अपना अभियान बीच में ही रोकना पड़ा था. लेकिन अब वे दोबारा सक्रिय होकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं. अभी तक वे प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर पुलवामा हमले तक के दौरान शहीद जवानों के घरों तक जाकर मिट्टी एकत्र कर चुके हैं.

उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश लद्दाख और लक्ष्यदीप के अलावा भी सभी राज्यों का भ्रमण कर चुके हैं. उनका कहना है कि वे शहीदों की जगह की इस मिट्टी से एक शहीद स्मारक बनाना चाहते हैं. अभिव्यक्ति की आजादी के लिए बहस होती रहती है. लेकिन जिस खामोशी के साथ उपेश गोपीनाथ जाधव अपने देश के जज्बे को व्यक्त कर रहे हैं. उससे बढ़कर अभिव्यक्ति क्या हो सकती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details