फलोदी (जोधपुर). अंतर्राष्ट्रीय अल्ट्राधावक अतुल चौकसे धावक थार रेगिस्तान में 13 सौ किलोमीटर दौड़ते हुए किराडू और रेडाणा रण पार कर फलोदी पहुंचे. इस दौड़ का उद्देश्य अंधविश्वास और रूढीवादी सोच मिटाने और जनजागृति पैदा करना था. अतुल अपने साथ दो चक्के वाली ट्रॉली भी साथ लेकर दौड़ लगा रहे हैं, जिसमें 160 किलों सामान है.
फलोदी पहुंचे अल्ट्रा मैराथन धावक उन्होंने रण ऑफ कच्छ से 31 दिसंबर को दौड़ आरंभ की थी और दौड़ अभियान गुजरात, राजस्थान, हरियाणा होते हुए 26 जनवरी को पंजाब के भटिंडा में जाकर समाप्त होगी. दौड़ के दौरान उन्होंने युवाओं को सकारात्मक सोच रखने, परिस्थितियों का डटकर सामना करने, तनाव मुक्त जीवन जीने और नशा नहीं करने का संदेश दिया.
मारवाड़ की संस्कृति और सभ्यता से रूबरू होकर जातिवाद और महिलाओं में घूंघट अवधारणा को गलत बताया. इनके ओर से एक डाक्यूमेंट्री फकीर की दुनिया भी तैयार की जा रही है, इसके लिए भी उन्होंने किराडू, रेडाणा रण, सनसेट दृश्यों की वीडियोग्राफी की.
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दौड़ने का अनुभव अतुल चौकसे ने बताया कि अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में विश्व की सबसे कठिन अल्ट्रा मैराथन में भाग लेकर देश का नाम रोशन किया. हिमालय, लद्दाख में दौड़ने का अनुभव है. इन्हें अब तक 71 राष्ट्रीय और 35 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं. थार रेगिस्तान में दौड़ को विश्व रिकार्ड, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड, लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड के लिए पंजीकृत किया गया है. चौकसे के फलोदी पहुंचने पर पार्षद लीलाधर कन्नोजिया, अशोक मेघवाल, निरंजन व्यास ने मालार्यपण कर स्वागत किया.