भोपालगढ़ (जोधपुर).जिले के भोपालगढ़ उपखंड क्षेत्र के गांव में अब फलदार बगीचों की खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ने लगा है. इसका मुख्य कारण है कि जोधपुर की कृषि विभाग ने फलदार बगीचों के लिए अब अनुदान देने का काम शुरू कर दिया है.
किसान पाबू सिंह राठौड़ ने बताया कि उनका खेती का सबसे बेहतर अनुभव बगीचा स्थापित करना रहा है. उनका कहना है कि एक बार बगीचा लगाकर वर्षों तक आय का स्त्रोत हो सकता है. भूमि की उर्वरक शक्ति भी कमजोर है और फसलों की खेती में अत्यधिक पानी की भी आवश्यकता पड़ती है.
बगीचों की ओर बढ़ रहा किसानों का रूझान इसी वजह से दो वर्ष पूर्व अपने स्तर पर 12 बीघा में और गत वर्ष 6 बीघा में अनार का बगीचा स्थापित किया. वहीं, ड्रिप सिस्टम को अपनाया, ताकी कम पानी में ही बगीचा पनप जाए. इसके साथ ही बगीचे के बीच की खाली भूमि में फसल, मशाला और सब्जियों के बुवाई का भी लक्ष्य रखा है.
उद्यान विभाग अधिकारियों की सलाह
राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना में नवीन बगीचों का स्थापना करना खेती का हिस्सा है. खेती के साथ-साथ कुछ क्षेत्र में फलदार बगीचा होना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है. बगीचा पनपने तक तीन-चार वर्ष में बगीचों के खाली जगहों में मसाला, औषधि, सब्जियों की खेती बखूबी की जा सकती है. ऊपर से मौजूदा खेती के उपलब्ध जल से बागवानी का फायदा भी लिया जा सकता है.
कृषि अधिकारी रफीक अहमद कुरैशी का कहना है कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना में बगीचा खेती के आय का मुख्य साधन है. फसलों के साथ-साथ नकदी आय के लिए बागवानी को प्रमुखता दी जाए. उन्होंने कहा कि नवीन सामुदायिक जल संग्रहण ढांचा यानी फार्म पौण्ड हाल ही में तैयार किए उन किसान समूहों से आग्रह है कि बगीचा पत्रावलियां ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सम्बंधित कार्यालय में समय पर प्रस्तुत करे. ताकी बगीचा-बागवानी कार्य स्थापित करवाया जा सके.
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वहीं, सहायक कृषि अधिकारी नासिर खिलजी ने कहा कि उद्यानिकी में सामुदायिक एक फार्म पौण्ड पर चार हेक्टर में बागवानी गतिविधि को अपनाने की शर्त पर ही सामुदायिक जल संग्रहण ढांचा का लाभ दिया जाता है. किसान समूह के शपथ पत्र के अनुसार बागवानी में बगीचा और बूंद-बूंद सिंचाई संयत्र स्थापित करना आवश्यक है. इसलिए बूंद-बूंद संयत्र और बगीचा पत्रावली अलग अलग ऑनलाइन करवा कर प्रस्तुत की जानी है.