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स्वाइन फ्लू का फिर से मंडरा रहा साया...इस साल अब तक जोधपुर में हो चुकी हैं 34 मौत

गर्मी खत्म होने के बाद बारिश का सीजन शुरू होते ही तापमान में गिरावट आने के बाद स्वाइन फ्लू का वायरस एच1एन1 हरकत में आ जाता है और वह लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर देता है. बारिश खत्म होने के बाद शीत ऋतु में स्वाइन फ्लू का वायरस अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर देता है.

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Published : Jul 27, 2019, 6:33 PM IST

जोधपुर. 2019 में जोधपुर संभाग में स्वाइन फ्लू से 34 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कुल 445 मरीज स्वाइन फ्लू पॉजिटिव सामने आए थे. स्वाइन फ्लू का वायरस अत्यधिक सर्दी होने के साथ ही अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर देता है, जितनी ज्यादा सर्दी होगी उतना ही वायरस लोगों को ज्यादा चपेट में लेना शुरू कर देता है.

जोधपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल मथुरादास माथुर अस्पताल की सुप्रिडेंट डॉ. महेंद्र आसेरी ने बताया कि स्वाइन फ्लू एक लाइलाज बीमारी नहीं है. स्वाइन फ्लू से ग्रसित मरीजों की तीन कैटेगरी में बांटा गया है. इस बीमारी में मरीज को साधारण खांसी जुखाम और बुखार होता है. अगर उस समय मरीज खांसी जुखाम और बुखार की दवाई ना ले तो वह स्वाइन फ्लू का वायरस उस पर हावी हो जाता है और यह ऐसे मरीजों के साथ होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है.

इस साल अब तक जोधपुर में हो चुकी हैं 34 मौत

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डॉ. महेंद्र कुमार सैनी ने बताया कि स्वाइन फ्लू तीन कैटेगरी में बांटा गया है, जिसमें ए कैटेगरी और बी कैटेगरी में मरीज का समय रहते इलाज किया जा सकता है और वह स्वयं फ्लू के वायरस से मुक्त हो सकता है तो वहीं जब मरीज जब सी केटेगरी में पहुंचता है. तब उसके बचने की उम्मीद कम होती है क्योंकि मरीज द्वारा सी कैटेगरी में आने तक स्वाइन फ्लू का वायरस शरीर पर हावी हो जाता है. स्वाइन फ्लू उन मरीजों पर हावी होता है. जिन मरीजों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. सी कैटेगरी में मरीज तब पहुंचता है जब वह खांसी जुखाम बुखार का इलाज समय पर ना लेकर देरी से अस्पताल पहुंचता है.

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स्वाइन फ्लू एक छोटी बीमारी है. इससे आसानी से निपटा जा सकता है. लोग इसे भयंकर बीमारी बता कर भ्रमित होते हैं जबकि इस बीमारी का से निपटने के लिए इलाज सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है. सुप्रिडेंट ने बताया कि साधारण व्यक्ति को अगर सर्दी, जुकाम खांसी हो तो वह तुरंत रूप से नजदीकी अस्पताल में जाकर अपना चेक करवाएं और अस्पतालों द्वारा दी गई दवाइयों को नियमित रूप से लें. जिससे कि स्वाइन फ्लू का वायरस मरीज पर हावी ना हो सके.

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