जोधपुर. प्रदेश के आगामी बजट को लेकर सरकार तैयारी कर रही है. इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर में संभाग भर के जनप्रतिनिधियों व चुनिंदा लोगों से रायशुमारी शुरू कर दी गई (Suggestions invited for Rajasthan Budget) है. इसमें पहुंचे प्रतिनिधियों में से एक ने कहा कि उनके यहां पानी की समस्या है. जिस तालाब के पानी के जानवर पीते हैं, वही उन्हें भी पीना पड़ रहा है.
डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज में दो दिनों से लोगों को बुलाकर राय ली जा रही है. बुधवार को यहां जनजाति, पंचायती राज और वनविभाग को लेकर सुझाव दिए गए. इस दौरान खास तौर से पूरे संभाग से आए भील समाज के प्रतिनिधियों ने अपनी पीड़ा बताई. खास तौर से उनकी जमीनों पर हो रहे कब्जे, उनके क्षेत्र में स्कूल की कमी, पेयजल की परेशानी से अवगत करवाते हुए सरकार से बजट में इनके लिए विशेष प्रावधान करने के सुझाव दिए.
बजट के लिए सुझाव: प्रतिनिधि ने बताई पीड़ा बाड़मेर जिले के पचपदरा क्षेत्र की गोंपडी पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि हिम्माताराम ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि 10 साल से हमारे क्षेत्र में पानी की टंकी बनी हुई है, लेकिन पानी नहीं आता है. गांव के तालाब से ही पानी पीने को मजबूर हैं, जहां गांव के पशु भी पानी पीते हैं. हिम्माताराम ने कहा कि यहां 150 जनजाति परिवार रहते हैं. तालाब के पानी को भी जल माफिया रिफाइनरी के ठेकेदारों को बेच रहे हैं. हमारे जैसे क्षेत्रों के लिए सरकार बजट में विशेष प्रावधान करे.
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शमशान के रास्ते रोक दिए, स्कूल भी बदल दिए: भील समाज के जनप्रतिनिधियों ने कहा कि भील समुदाय की निश्चित आबादी एक जगह पर नहीं है. कई जगह पर जातिगत आधार पर जनप्रतिनिधि भीलों के शमशानों के रास्ते रोक चुके हैं. स्कूलों के क्षेत्र बदल दिए गए हैं, जिसके चलते हमारे बच्चे परेशान हैं. एक पूर्व पुलिसकर्मी ने कहा कि हमारे बच्चे भी आरएएस-आईएएस बन सकते हैं, उनको आगे नहीं आने दिया जा रहा है. हमारे लिए संभाग में अलग से यूनिविर्सिटी स्थापित की जाए. इसके अलावा अन्य लोगों ने भीलों की जमीनों पर कब्जे कर लिए हैं.
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माडा के नियम बदले तो काम होगा: इस सुझाव बैठक में आए जनजाति क्षेत्र के लोगों ने सुझाव दिया कि परावर्तित क्षेत्र विकास उपागम (माडा) के नियम बदले (demand of changing Mada rules) जाएं. माडा के तहत गांव में 40 फीसदी से अधिक जनजाति आबादी होने पर वहां पर माडा के तहत काम होते हैं. लेकिन जोधपुर जिले में तो भील समुदाय एक साथ किसी गांव में नहीं है. जबकि आबादी भी ज्यादा है. सब अलग-अलग ढ़ाणियों में रहते हैं. ऐसे में उनको माडा का लाभ नहीं मिल रहा है. ऐसे में नियमों में बदलाव किया जाए. प्रतिनिधि ने उदाहरण किया कि माडा के तहत 20 लाख की सड़क दूसरे लोगों के लिए बना दी गई. जहां पर जनजाति के लोग रहते हैं, वहां सड़क नहीं है.
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जोधपुर में बने पक्षी संरक्षित क्षेत्र: वनविभाग से जुड़े सुझाव में पर्यावरण प्रेमी प्रसन्न पूरी गोस्वामी ने कहा कि मेहरानगढ़ क्षेत्र में पक्षी संरक्षित क्षेत्र विकसित किया जा सकता है. इसके लिए सरकार को भूमि आंवटित करनी चाहिए, क्योंकि अब वहां से एक सड़क भी निकाली जा रही है. इसके अलावा वनविभाग को एक रेगिस्तानी पौधों से जुड़ी नर्सरी स्थापित करनी चाहिए, जिससे रेगिस्तानी पौधों का संरक्षण हो सके.