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एमडीएम में गर्भवती की ओपन हार्ट सर्जरी, जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ - एमडीएम में गर्भवती की ओपन हार्ट सर्जरी

जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में गर्भवती महिला की ओपन हार्ट सर्जरी (Open Heart Surgery of Pregnant woman in Jodhpur) करते हुए वाल्व से जुड़ी परेशानियों को दूर किया गया. सर्जरी के बाद जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.

Open Heart Surgery of Pregnant in MDM Hospital
Open Heart Surgery of Pregnant in MDM Hospital

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Published : Oct 11, 2022, 5:08 PM IST

Updated : Oct 11, 2022, 6:12 PM IST

जोधपुर.मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने एक गर्भवती महिला की ओपन हार्ट सर्जरी कर (Open Heart Surgery of Pregnant woman in Jodhpur) सफलतापूर्वक हार्ट के दोनों वाल्व की परेशानी दूर की है. सर्जरी के बाद 22 वर्षीय महिला पूरी तरह से स्वस्थ है. दावा किया जा रहा है कि पश्चिमी राजस्थान में इस तरह की सर्जरी पहली बार हुई है.

कार्डियक सर्जन डॉ. सुभाष बलारा ने बताया कि 22 वर्षीय गर्भवती तीन माह से सांस फूलने की (Open Heart Surgery of Pregnant in MDM Hospital) परेशानी से जूझ रही थी. इससे उसकी छाती में दर्द रहने लगा था. पांच माह की गर्भवती होने के बाद उसकी सांस की तकलीफ लगातार बढ़ने लगी थी. जांच में सामने आया कि महिला के हार्ट के दोनों वाल्व खराब हैं. माइटरल वाल्व तथा ट्राइक्यूस्पिड वाल्व में लीकेज और सिकुड़न है.

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कई जगह परामर्श लेने के बाद परिजन उसे लेकर एमडीएम अस्पताल (Jodhpur Mathuradas Mathur Hospital) पहुंचे थे. गंभीरवस्था में उसे भर्ती करते हुए ट्रीटमेंट शुरू किया गया. लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ. इसके बाद सर्जरी का निर्णय लिया गया. प्राचार्य डॉ. दिलीप कच्छवाह ने बताया कि यह सर्जरी चिंरजीवी योजना के तहत पूरी तरह से निःशुल्क की गई है.

मां व बच्चे को बचाना चुनौतीपूर्ण, सर्जरी का निर्णयःडॉ. सुभाष बलारा ने बताया कि 5 माह की गर्भवती को सांस की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही थी. ऐसी स्थिति में महिला और उसके बच्चे को बचाना एक बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था. परिजनों को बताया गया कि ओपन हार्ट सर्जरी ही एक मात्र विकल्प है, जिससे राहत मिल सकती है. परिजनों की सहमति के बाद ओपन हार्ट सर्जरी कर माइट्रल वाल्व को मैकेनिकल वाल्व से रिप्लेस किया गया. साथ ही ट्राइक्यूस्पिडवाल्व को रिपेयर किया गया. डॉ. अभिनव सिंह ने बताया कि प्रेगनेंसी में इस तरह की परेशानी 4 गुना ज्यादा जानलेवा है. क्योंकि प्रेगनेंसी में कार्डियक आउटपुट में लगभग 30 फीसदी की वृद्धि होती है. वाल्व डिजीज से पीड़ित गर्भवती जिसका हार्ट पहले से कमजोर होता है, वे इसे सहन नहीं कर पाती है.

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टीम के समन्वित प्रयास से मिली सफलताःएमडीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित ने बताया कि यह काफी जटिल प्रक्रिया थी. जिसे एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुभाष बलारा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिनव सिंह ने किया. इनके साथ सबसे महत्वपूर्ण एनेस्थीसिया की कमान सीनियर प्रोफेसर डॉ. राकेश कर्णावत, डॉ. शिखा सोनी ने संभाली. इस दौरान डॉ. खुशबू, डॉ. ललिता, डॉ. ज्योति, डॉ. संजय ,परफ्यूशनिस्ट माधव सिंह, ईसीजी टेक्निशियन नंदकिशोर भी मौजूद रहे.

Last Updated : Oct 11, 2022, 6:12 PM IST

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