जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस अरूण भंसाली की एकलपीठ ने महात्मा गांधी सेवा प्रेरक के पदों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नियुक्ति प्रदान करने पर अंतरिम रोक लगा दी है. कोर्ट के इस आदेश से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. हालांकि सरकार को 13 अगस्त, 2023 की अधिसूचना के अनुसार प्रक्रिया में आगे बढ़ने की छूट दी, लेकिन किसी को भी नियुक्ति नहीं दी जा सकती है. एकलपीठ के समक्ष प्रतापगढ़ जिले के लच्छीराम मीणा व अन्य प्रेरकों की ओर से अधिवक्ता पंकज मेहता ने याचिकाए दायर की.
कोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार के शांति एवं अहिंसा विभाग द्वारा महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों के पद पर जारी विज्ञप्ति दिनांक 13 अगस्त, 2023 के तहत नियुक्ति दिए जाने के आदेश पर रोक लगा दी है. अधिवक्ता मेहता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता प्रेरक, नोडल प्रेरक एवं सहायक प्रेरक आदि के पदों पर वर्षों तक सेवाएं देने की योग्यता रखते हैं. राज्य सरकार द्वारा महात्मा गांधी सेवा प्रेरक के नियुक्ति के लिए पूरे प्रदेश में प्रत्येक पंचायत स्तर एवं समस्त नगर पालिकाओं बोर्ड के समस्त वार्डों में इस पद के लिए अल्पकालीन विज्ञप्ति 13 अगस्त, 2023 जारी कर 50000 पदों पर 4500 रुपए प्रतिमाह मानदेय पर नियुक्ति के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए.
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विज्ञप्ति में ऐसे आवेदनकर्ता जिन्हें कि राज्य सरकार द्वारा लगाए गए महात्मा गांधी दर्शन प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने का अनुभव है, उन्हे प्राथमिकता से नियुक्ति दिए जाने का प्रावधान किया गया. राज्य सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति न तो संविधान के नियमों का पालन करते हुए जारी की गई, ना ही यह विज्ञप्ति विधिक प्रावधानों के तहत जारी की गई है. विज्ञप्ति के द्वारा एवं साथ में जारी दिशा-निर्देश में यह नहीं बताया गया कि इस पद पर कार्यरत प्रेरकों की कार्य की शर्ते एवं कार्य दशा क्या होगी. ना ही नियुक्ति के लिए चयन योग्यता सम्बंधी मेरिट आदि के आधार पर चयन के कोई प्रावधान किए गए हैं.