जोधपुर. भारतीय आर्युविज्ञान परिषद यानी ICMR ने सलाह दी है कि रोगियों के उपचार में प्लाज्मा पद्धति का लगातार इस्तेमाल उचित नहीं है, लेकिन इसके विपरीत जोधपुर में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों के इलाज का दावा किया जा रहा है. यही वजह है कि जहां ज्यादातर जगह प्लाज्मा का इस्तेमाल बंद हो गया है, वहीं जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के ब्लड बैंक में लगातार प्लाज्मा डोनेशन किया जा रहा है. अब तक 366 लोग अपना प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं, वहीं 338 लोगों को प्लाज्मा दिया भी गया है. डॉक्टरों का दावा है कि अधिकांश को इससे फायदा मिला है. खास तौर से गुर्दे व लीवर की बीमारी के साथ संक्रमित होने वाले रोगियों के लिए यह ज्यादा फायदेमंद हो रहा है. जबकि इनके लिए दूसरी कोई दवाई नहीं है.
जोधपुर में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों के इलाज का दावा किया जा रहा है. यह भी पढ़ें:Exclusive: लव जिहाद मुद्दे पर बोले खाचरियावास: धर्म-जाति के नाम पर वोट की राजनीति कर रही भाजपा
क्यों हो रहा है कारगर?
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. नवीन किशोरिया का कहना है कि जब आईसीएमआर ने प्लाज्मा को उपयोग को लेकर स्टडी की थी, उस समय सिर्फ बिना लक्षणों के कोरोना के मरीजों की संख्या अधिक थी. लेकिन, पिछले दो से तीन माह में गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे में गंभीर मरीजों के शरीर में कोरोना का असर ज्याद नजर आ रहा है. ऐसे रोगियों के ठीक होने के बाद मिलने वाले प्लाज्मा में एंटीबॉडी भी हाई है, जो मरीजों को ठीक करने में सक्षम है. डॉ. किशोरिया का कहना है कि आईसीएमआर अपनी स्टडी को रिव्यू करें या नहीं, लेकिन हमारे लिय उपचार बहुत सफल साबित हो रहा है. खासकर लीवर और गुर्दे के मरीजों के लिए यह बहुत फायदेमंद है.
यह भी पढ़ें:दर्दनाक: दहेज की मांग पूरी नहीं कर सका... सुसाइड नोट में लिख पिता ने दी जान, आज जाना था बेटी का लगन
15 दिन बाद दे सकते हैं प्लाज्मा
मथुरादास माथुर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एमके आसेरी का कहना है कि हमारे यहां से जोधपुर के बाहर भी प्लाज्मा भेजा गया है. वर्तमान में हमारे पास 17 यूनिट मौजूद है. उन्होंने कहा कि लोगों से अपील है कि ठीक होने के बाद प्लाज्मा अवश्य दें, यह किसी का जीवन बचा सकता है. डॉ. आसेरी के मुताबिक कोरोना के लक्षण समाप्त होने के 15 दिन बाद प्लाज्मा डोनेट किया जा सकता है.