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SPECIAL: सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल बागोरिया देवी मंदिर, 13 पीढ़ियों से मुस्लिम परिवार कर रहा सेवा

जी हां, सुनकर आपको थोड़ी हैरान हुई होगी कि आखिर कैसे किसी मंदिर में मुस्लिम पुजारी हो सकता है. लेकिन ये सच है. जोधपुर जिले के भोपालगढ़ क्षेत्र के बागोरिया गांव के पहाड़ी की ऊंचाई पर स्थित माताजी का मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल है. देखिए जोधपुर से स्पेशल स्टोरी...

Bagoriya Mataji Temple, Bhopalgarh Bagoriya Mataji
सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल

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Published : Feb 26, 2020, 7:52 PM IST

भोपालगढ़ (जोधपुर). भारत में कई ऐसे मंदिर है जो अपने चमत्कारों के चलते प्रसिद्ध हैं. जिसके लिए लोग आस्था से दूर-दूर से आते है. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है. जिसकी पूजा हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम लोग करते है. जोधपुर जिले के भोपालगढ़ क्षेत्र के बागोरिया गांव के पहाड़ी की ऊंचाई पर स्थित माताजी का मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल है.

बागोरिया देवी का मंदिर

बागोरिया देवी के मंदिर में 13 पीढ़ियों से एक सिंधी मुस्लिम परिवार पुजारी बनकर देवी मां की आराधना के साथ-साथ सेवा कर रहा है. कहा जाता है कि बागोरिया स्थित पहाड़ी पर माता अवतरित हुई थीं. भोपाजी के पूर्वज ने इससे जुड़ी कहानी बताई कि बहुत समय पहले उनके पूर्वज मालवा की ओर जा रहे थे. एक रात उनके सपने में देवी मां ने दर्शन देकर कहा कि पहाड़ी पर बनी बावड़ी से मेरी मूर्ति निकली है, तुम उस मूर्ति की पूजा करो.

SPECIAL: सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल बागोरिया देवी मंदिर

माता ने दिए दर्शन

वर्तमान में अस्सी वर्षीय बुजुर्ग जमालुदीन खां भोपाजी माता की सेवा कर रहे हैं. 500-600 साल पहले इनके पूर्वज ऊंटों के काफिले को लेकर मध्यप्रदेश के मालवा जा रहे थे. रात में पूर्वज के सपने में देवी मां ने दर्शन दिए और कहा कि तुम मेरी मूर्ति की पूजा करो, तभी से पीढ़ी दर पीढ़ी ये माता की सेवा में लगे हैं.

ऊंचाई पर स्थित माता का मंदिर

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पूजा के साथ नमाज भी

यह परिवार हिन्दू धर्म-संस्कृति की पालना करते हुए पुजारी के रूप में भी तन, मन, धन से सेवा दे रहा है. परिवार के सभी लोग मंदिर जाने के साथ-साथ मस्जिद जाकर नमाज भी अदा करते हैं. मुस्लिम पुजारी ही यहां के क्षेत्रवासियों को हर प्रकार की पूजा-अर्चना करवाते हैं. गांव के लोगों में भी किसी तरह का बैर भाव नहीं है, वे भोपाजी को अपने पुजारी के रूप में सहर्ष स्वीकार कर चुके हैं.

मुस्लिम परिवार कर रहा 13 पीढ़ी से सेवा

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परिवार से ही बनता है मंदिर का पुजारी

इस मंदिर में माता की पूजा जमाल खां के पुरखों के समय से हो रही है. जिसे वे आज भी निभा रहे हैं. जमाल खां कहते हैं कि मुख्य पुजारी हमारे परिवार से बनता है और मैं मेरे पिताजी के बाद पिछले करीब पचास साल से पुजारी के रूप में मंदिर में माता जी की सेवा करता आ रहा हूं. उन्होंने बताया कि वो और उनके पिताजी पिछले करीब 56 साल से पुजारी के रूप में मंदिर में माता जी की सेवा करते आ रहा हैं.

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