जोधपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में लम्बे समय से फरार चल रहे गिरोह के सरगना सुरेश कुमार के दूसरे अग्रिम जमानत आवेदन को लम्बी सुनवाई के बाद खारिज कर दिया. जस्टिस मदन गोपाल व्यास ने सुरेश कुमार के दूसरे अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी देश का भविष्य उसकी शिक्षा-व्यवस्था पर निर्भर करता है. शिक्षा के माध्यम से ही कोई समाज एवं देश प्रगति की ओर बढ़ता है, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि शिक्षा के क्षेत्र की कई समस्याओं के समाधान की कोई राह नहीं दिख रही है. इन्हीं में से एक है प्रश्नपत्र लीक होने की समस्या.
उन्होंने कहा कि वर्तमान भारत के युवा ऊंचे लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं. वे तमाम कठिनाइयों एवं अभावों से जूझते हुए कई वर्षों तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. जब किसी प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होता है, तो परीक्षार्थियों के साथ परिजनों के भी सपनों को गहरा आघात पहुंचता है. ऐसी घटनाओं से एक उन्नत, समृद्ध, सुशिक्षित एवं सशक्त राष्ट्र व समाज बनने-बनाने का हमारा सामूहिक स्वप्न और मनोबल टूटता है. इससे युवाओं के भीतर व्यवस्था के प्रति असंतोष एवं निराशा की स्थायी भावना घर करती है.
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कोर्ट में आरोपी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने उसे बेवजह फंसाने की दलीले देते हुए अग्रिम जमानत की पैरवी की थी. वहीं सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने कहा कि आरोपी के खिलाफ वर्तमान मामला पुलिस थाना बेकरिया, जिला उदयपुर में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 227/2022, अपराध अन्तर्गत धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120बी भारतीय दंड संहिता एवं धारा 3, 6, 9, 10 राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम, 2022 के मामले में प्रस्तुत किया है. जबकि ऐसे ही अलग-अलग थानों में 6 प्रकरण विचाराधीन हैं और धारा 173(8) सीआरपीसी में अनुसंधान लम्बित है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद 25 जुलाई, 2023 को फैसला सुरक्षित रखा था.
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सोमवार को कोर्ट में जस्टिस व्यास ने फैसला सुनाते हुए दूसरे अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र अगर परीक्षा से पहले लीक हो जाएं, तो सबसे ज्यादा कष्ट उन मेहनती परीक्षार्थियों और उम्मीदवारों को होता है, जो प्रतिभा के बल पर किसी परीक्षा में अपनी योग्यता साबित करने का जतन करते हैं. एक प्रश्नपत्र का रद्द होना कई बार अभ्यर्थियों के भीतर असुरक्षा और अस्थिरता की भावना पैदा कर सकता है. पर्चा लीक का यह अनवरत सिलसिला परीक्षार्थियों को परीक्षा के लिए दुबारा तैयारी करने से लेकर आने-जाने और तमाम खर्चे उठाने का विकल्प छोड़ता है, जिसकी कोई भरपाई नहीं होती है. इन हादसों से लगे घाव गहरे होते हैं. छात्रों का आक्रोशित होना स्वाभाविक होता है, क्योंकि इससे उन्हें परीक्षा के लिए दुबारा मेहनत करने और पैसा खर्च करने की जरूरत होती है.