राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

special : स्कूली छात्रों ने 500 साल पुरानी झालरा को दी नई जिंदगी, जोधपुर की रानी जाड़ेची ने कराया था निर्माण

जोधपुर जिले में स्थित एक झालरा जिसे सदियों पहले जोधपुर की रानी जाड़ेची (Jodhpur Rani Jadechi) ने बनवाया था. लेकिन इसकी हालत जर्जर हो चुकी है. समय के साथ लोगों ने इसकी तरफ देखना बंद कर दिया. स्थानीय युवाओं के प्रयास से एक बार फिर से इसके सही होने की उम्मीद है. देखिए ये रिपोर्ट...

Maharaja Jaswant Singh, Rani Jadechi, Marwar region of Rajasthan
स्कूली छात्रों ने 500 साल पुरानी झालरा को दी नई जिंदगी

By

Published : Jun 19, 2021, 10:25 AM IST

जोधपुर.सदियों पहले से ही जल को देवता के रूप में पूजा जाता था और इसे संरक्षित करने की प्रथा शुरू हुई थी. राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र (Marwar region of Rajasthan) की बात करें तो राजा महाराजाओं के समय से ही जल को संरक्षित (water conservetion) करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते रहे हैं. बारिश का पानी संरक्षित (rain water conservation) कर जीवन चर्या के उपयोग में लाने के लिए काम में लिया जाता था.

स्कूली छात्रों ने 500 साल पुरानी झालरा को दी नई जिंदगी

मारवाड़ में बारिश की कमी (lack of rain) इसकी उपयोगिता को और बढ़ा देती है. इसमें से एक स्रोत झालरा भी रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य ग्राउंड लेवल वॉटर (ground level water) को रिचार्ज करना होता है. लेकिन इसका पानी दूसरे सभी कामों में भी उपयोग में आता रहा है.

यह राजा महाराजाओं के समय शहर के भीतरी क्षेत्र में बनाए जाते थे ताकि शहर के लोगों को पानी के लिए दूर ना जाना पड़े. ऐसा ही एक 500 वर्ष से भी अधिक पुराना 'क्रिया का झालरा' जोधपुर के मेहरानगढ़ के तलहटी क्षेत्र में स्तिथ है.

गंदे पानी से कचरा हटाते हुए युवा और छात्र

महाराजा जसवंत सिंह की द्वितीय रानी जाड़ेची ने बनवाया-

इस झालरा का निर्माण जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह (Maharaja Jaswant Singh) की द्वितीय रानी जाड़ेची (Jodhpur Rani Jadechi) ने करवाया था. कहते हैं उस वक्त रानी जाड़ेची खुद भी यहां जाया करती थी. उस वक्त यह विशेष आकर्षण का केंद्र हुआ कहता था. कभी कभी यहां पर महाराजा जसवंत सिंह (Maharaja Jaswant Singh) भी घूमने के लिए आते थे.

झालरा की सफाई करता हुआ एक युवक

कुछ समय तक इसकी देखरेख होती रही लेकिन समय के साथ ही इसकी हालत बिगड़ती रही. अब शहर में नहर का पानी आता है. लोगों में इसकी जरूरत कम हुई तो इसकी तरफ लोगों ने ध्यान देना भी बंद कर दिया. इसमें मछलियां मरने की वजह से पानी बदबूदार होता जा रहा है.

प्रशासन से मदद की मांग-

लॉकडाउन के दौरान क्षेत्र के युवाओं ने बीड़ा उठाया इसे साफ करने का और कड़ी मेहनत के बाद सफाई में जुट गए और कुछ दिन में ही इसकी सफाई कर दी गई. अब प्रशासन से मांग की जा रही है कि यहां जो पंप लगा हुआ है उसे शुरू किया जाए जिससे गंदा पानी बाहर निकले और यह झालरा अपने पुराने स्वरूप में लौट सके.

झालरा की एक और मनमोहक तस्वीर

युवाओं की मेहनत को देखकर क्षेत्र की पार्षद आगे आई और मदद दिलाने का भरोसा किया है इसके साथ ही प्रशासन से भी संपर्क साधा है. दरअसल कुछ समय पहले तक इस झालरे के पानी के ऊपर प्लास्टिक और दूसरे कचरे कि एक परत सी तैरने लगी थी. पानी हरा और पास से गुजरने पर तेज दुर्गन्ध आने लग गई थी.

सफाई नहीं होने की वजह से बदबूदार बना पानी-

ऐसे में आस पास के क्षेत्र के लोगों के लिए आगे यह कचरे की जगह बन गया. मछलियां भी मरने लग गई जिस से बदबू और बढ़ गई. आखिरकार आस पास के कुछ युवाओं ने मिलकर इसे साफ किया.

जोधपुर की रानी जाड़ेची द्वारा बनवाई गई झालरा

ये भी पढ़ें:लोगों की नहीं पेड़ों की जिंदगी बचा रही है ये एंबुलेंस, अब तक हजारों को दे चुकी है 'संजीवनी'

इसकी शुरूआत करने वाले ध्रुव कहते हैं- लॉकडाउन के दौरान हमारे स्कूल बंद हैं ऐसे में हमें ये ख्याल आया कि इस पुराने झालरे के पानी को साफ करना चाहिए. शुरू में सिर्फ दो लोगों ने शुरूआत की थी लेकिन फिर दूसरे साथियों ने भी हमारे प्रयासों को देखा और मदद की.

ये भी पढ़ें:SPECIAL: गहलोत सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में बढ़ा अपराध का ग्राफ, आंकड़े कानून व्यवस्था की भयावह तस्वीर पेश कर रहे

मरम्मत की आवश्यकता-

इस झालरा का निर्माण बरसों पहले हुआ था. निर्माण की शैली बहुत सुंदर है लेकिन अब समय के साथ इसका रखरखाव नहीं होने से क्षतिग्रस्त हो रही है. खासकर इसका पानी अब उपयोग करने लायक नहीं था. हालांकि अब युवाओं के प्रयास से जल्द इसकी हालत सुधरने की उम्मीद है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details