जोधपुर. आपने सफेद मूली का स्वाद चखा ही होगा, जो सब्जी के साथ सलाद की शोभा बढ़ाती है. लेकिन कम ही लोगों ने लाल मूली खाई होगी. अब आप सोच रहे होंगे लाल मूली. जी हां, लाल मूली का ये प्रयोग जोधपुर के एक किसान ने किया है. जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बूते खेती में एक नया अध्याय लिखा. मदनलाल ने लाल मूली की खेती (Red Radish Farming) कैसे की और किस तरह से उन्हें सफलता मिली. आइए जानते हैं सबकुछ.
चार साल के अथक प्रयास का नतीजा: किसान मदनलाल ने चार साल के अथक प्रयास से लाल मूली की खेती करने में सफलता प्राप्त की. भारतीय किसान संघ से जुडे़ मदनलाल ने प्रगतीशील किसानों से प्रभावित होकर यह काम किया है. जोधपुर में लाल मूली होना ही अचरज की बात है, क्योंकि यहां पर आज तक सफेद मूली ही लोग देखते आए हैं. जिले के मथानिया क्षेत्र निवासी मदनलाल बताते हैं कि उनको कृषि विज्ञान से जुड़ी जानकारियों के बारे में जानना काफी पसंद है.
इस तरह शुरू की लाल मूली की खेती: मदनलाल ने इटीवी भारत से बातचीत में बताया कि वह कृषि विश्वविद्यालय की गतिविधियों में शामिल होते हैं, वैज्ञानिकों से मिलते हैं. इसके अलावा केंद्रीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रों के संपर्क में रहते हैं, जिसके चलते उन्होंने सोचा कि क्यों न लाल मूली की खेती की जाए. इसका बीज तैयार किया और सर्दी के दिनों में चार साल तक बुवाई की. हर साल इसमें सुधार किया. इस बार उनके खेत के एक हिस्से में लाल मूली का सही उत्पादन हुआ.