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Rajasthan Highcourt: वक्फ बोर्ड के सीईओ को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार नहीं, ओरण भूमि को लेकर थी याचिका - Rajasthan hindi news

वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को किसी भी सम्पत्ति को वक्फ सम्पत्ति घोषित करने का अधिकार नहीं है. ओरण भूमि को लेकर दायर याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt) ने ये आदेश दिए हैं.

Rajasthan Highcourt
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Published : Nov 23, 2022, 10:30 PM IST

जोधपुर.राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt) ने याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को यह अधिकार नहीं है कि वो किसी भी सम्पत्ति को वक्फ सम्पत्ति घोषित करे. यह अधिकार केवल वक्फ बोर्ड की शक्तियों में ही निहित है. कोर्ट ने वक्फ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की ओर से बाड़मेर के असाडा में कब्रिस्तान को वक्फ सम्पत्ति घोषित (waqf board property case) करने के लिए पारित आदेश को निरस्त कर दिया है.

मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल और न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ ने धन्नाराम और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश पारित किया. कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका पेश करते हुए कहा कि ग्राम असाडा तहसील जसोल बाड़मेर में खसरा संख्या 529 जो कि राजस्व रिकार्ड में ओरण भूमि के रूप में 38 बीघा है. मुस्लिम वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने तहसीलदार पचपदरा बाड़मेर को दिनांक 08 जनवरी 2019 को पत्र जारी करते हुए उस भूमि को वक्फ सम्पत्ति के रूप में पंजीयन करने के निर्देश दिए थे. जबकि ओरण भूमि विशेष प्रकृति की भूमि है जिसको सार्वजनिक उपयोगिता के अलावा अन्य प्रयोनार्थ उपयोग नहीं लिया जा सकता है.

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मुख्य कार्यकारी अधिकारी वक्फ बोर्ड के आदेश की वैधता और वैधानिकता पर प्रश्न चिन्ह लगाया. वहीं सरकार की ओर से एएजी सुनील बेनीवाल ने कहा कि जिला कलेक्टर बाड़मेर ने इस सम्बंध में जॉच कर बताया कि राजस्व रिकार्ड में ओरण भूमि ही है. जबकि इसमे से 05 बीघा भूमि राजकीय राजीव गांधी स्वर्ण जयंती पाठशाला के रूप में दर्ज है. इस खसरे में शेष भूमि 32 बीघा ओरण के रूप में ही दर्ज है.

प्रतिवादी वक्फ की ओर अधिवक्ता ने कहा कि पिछले 200-300 सालों से वहां पर कब्रिस्तान के रूप में भूमि का उपयोग हो रहा है. कोर्ट ने पूरे रिकार्ड को देखने एवं सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजीर मानते हुए कहा कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी वक्फ की ओर से जारी आदेश वैध नहीं है, वो अधिकारिता क्षेत्र के बाहर है इसीलिए निरस्त किया जाता है. इस खसरे में करीब 02 बीघा भूमि का उपयोग कब्रिस्तान के रूप में हो रहा है. आबादी को देखते हुए उस भूमि का उपयोग करने से नहीं रोका जाएगा. मुख्य कार्यकारी अधिकारी को किसी सम्पत्ति को वक्फ सम्पत्ति घोषित या पंजीयन करने के निर्देश देने का अधिकार नहीं है. ये शक्तियां वक्फ बोर्ड में ही निहित हैं. कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया है.

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