जोधपुर/उदयपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने उदयपुर के हितेंद्र गरासिया के शव को रशियन सरकार की ओर से भारत नहीं भेजे जाने पर दायर याचिका पर सुनवाई की. न्यायालय में केंद्र सरकार की ओर से यह कहे जाने पर कि रशियन सरकार की ओर से एफएसएल नहीं होने की वजह से शव नहीं दिया जा रहा है. इस पर न्यायाधीश दिनेश मेहता ने रशियन एंबेसी (Russian Embassy in India) के अधिकारियों को तलब किया है.
न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत में याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता पुरोहित ने कहा कि 17 जुलाई, 2021 को रूस में उदयपुर जिले के गोडवा गांव के निवासी हितेन्द्र का निधन हो गया था. तब से लेकर आज तक परिजन शव का अंतिम संस्कार करने के लिए पार्थिव देह का इंतजार कर रहे हैं. अर्न्तराष्ट्रीय कानून के अनुसार भी विधिवत अंतिम संस्कार के लिए शव उस देश को सौंप दिया जाता है, लेकिन रूस की सरकार हितेन्द्र के शव को देने से इनकार कर रही है. वह अंतिम संस्कार की बजाय रूस में ही परिजनों को शव को दफनाने के लिए कह रही है.
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मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए न्यायालय ने तत्काल केन्द्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल आर डी रस्तोगी को इस मामले में पक्ष रखने के लिए कहा तो उन्होने ऑनलाइन पैरवी की. न्यायालय ने कहा कि केन्द्र सरकार संवेदनशीलता के साथ हर संभव प्रयास करे ताकि परिजनों को शव का अंतिम संस्कार करने के लिए पार्थिव देह प्राप्त हो सके. रस्तोगी ने कहा कि रूस की सरकार की ओर से अभी तक भारतीय नागरिक के शव की फॉरेंसिक जांच पूरी नहीं की गयी है. इसलिए कार्यवाही नहीं हो पा रही है. रूस जैसे विकसित तकनीक वाले देश में मृत्यु के पांच माह बाद भी एक डेड बॉडी की फॉरेंसिक जांच पूरी नहीं होने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने आश्चर्य जताया. कोर्ट ने भारत में रूस के काउंसलर हेड को नोटिस जारी कर आगामी 20 दिसंबर को तलब किया है.
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मृत्यु का कारण ऊंचाई से गिरना...
राष्ट्रपति सचिवालय के निर्देश पर मानव अधिकार आयोग द्वारा केस दर्ज करने के बाद विदेश मंत्रालय ने 7 नवम्बर को कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा को इस मामले में पहली बार भेजे जवाब में कहा कि रशियन फेडरेशन के अधिकारियों ने हितेंद्र के शव को भारत भेजने से मना कर दिया. रूस में भारतीय राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा की ओर से शर्मा को भेजे जवाब में कहा गया कि रूस में भी शव को परिजनों द्वारा दाह संस्कार की अनुमति नहीं दी जाएगी. फॉरेंसिक जांच के बाद भी शव को रूस में ही दफनाया जाएगा. परिजन चाहें तो रूस में आ सकते हैं लेकिन उन्हें शव को भारत ले जाने की अनुमति नहीं होगी.
परिजन नहीं आएंगे तो फॉरेंसिक जांच के बाद शव को रूसी अधिकारियों द्वारा ही दफना दिया जाएगा. विदेश मंत्रालय की ओर से इस आधिकारिक जवाब में पहली बार हितेंद्र की मृत्यु का कारण ऊंचाई से गिरना बताया गया. रूस की सरकार के द्वारा हितेंद्र के शव को वहीं पर दफनाने का निर्णय लेने और भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा उस निर्णय को स्वीकार कर जवाब देने के बाद मृतक की पत्नी आशा, पुत्र पीयूष व पुत्री उर्वशी ने न्याय के लिए राजस्थान हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
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भारत व रूस की सरकार के बीच पिस गया पीड़ित परिवार...
हितेंद्र के शव को भारत लाने की मुहिम चला रहे शर्मा ने हाईकोर्ट के निर्णय के बाद कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोनों देशों की सरकारें मामले को एक दूसरे पर धकेल रही है. रूस की सरकार ने तो हमें 4 दिसंबर को ही लिखित में जवाब देकर पहले ही इसे भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाले रूस स्थित भारतीय दूतावास की जिम्मेदारी बता दिया था. यह दुःखद है कि पीड़ित परिवार पांच माह से भारत व रूस की सरकार के बीच पिसकर रह गया है. उन्होंने कहा कि हितेंद्र की दिवंगत देह को भारत लाने और सम्मानजनक अंतिम संस्कार तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा.