राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

जैसलमेर पुलिस ने भी किया कमाल, IT एक्ट की धारा 66-A में दर्ज कर ली FIR, हाईकोर्ट ने तलब की केस डायरी - पुलिस की लापरवाही

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt) में पुलिस की लापरवाही का मामला सामने आया है. जिसमें पुलिस ने एक शिक्षक नेता पर वो धारा लगाई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बहुत पहले रद्द कर दिया था.

Jaisalmer Police, Rajasthan High Court
जैसलमेर पुलिस की लापरवाही

By

Published : Jul 7, 2021, 4:46 PM IST

Updated : Jul 7, 2021, 8:04 PM IST

जोधपुर. ऐसा पहली बार हुआ है, जब देश की शीर्ष अदालत ने किसी कानून को असंवैधानिक मानते हुए हटा तो दिया लेकिन अब बार-बार पुलिस को यह याद भी उसे ही दिलाना पड़ रहा है. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66-ए को लेकर पुलिस की ओर से मुकदमे दर्ज करने का मामला फिर चर्चा में है. राजस्थान हाईकोर्ट में एक मामला सामने आया है.

सुप्रीम कोर्ट हैरान है कि जिस कानून को वर्ष 2015 में श्रेया सिंघल के मामले में समाप्त कर दिया था. उसमें एफआईआर कैसे दर्ज हो रही है. जस्टिस आरएफ नरीमन ने कहा कि, जो चल रहा है, वह भयानक है. इसी तरह का एक उदाहरण राजस्थान हाईकोर्ट का भी सामने आया है. जैसलमेर जिले के सदर जैसलमेर थाना पुलिस ने 12 अप्रैल को एक शिक्षक नेता के खिलाफ इसी धारा में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट इस धारा को हटा चुका है.

यह भी पढ़ें.अलवर में SOG की बड़ी कार्रवाई : देश विरोधी गतिविधियों लिप्त युवक गिरफ्तार, पाकिस्तान, बर्मा और ईरान के कई संगठनों से जुड़े तार

शिक्षक नेता पर धारा 66-ए में मामला दर्ज

शिक्षक नेता आमीन अली कायमखानी की ओर से अधिवक्ता रजाक के. हैदर और पंकज एस. चौधरी ने आपराधिक विविध याचिका दायर की. जिसमें उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से धारा समाप्त किए जाने के बावजूद उस धारा में FIR दर्ज की गई. ये पुलिस की लापरवाही का मजबूत सबूत है. इस तरह के प्रकरण पहले भी सामने आए हैं.

यह भी पढ़ें.माकन से मिलने आदिवासी महिलाओं को लेकर होटल मेरियट पहुंचे किरोड़ी लाल मीणा, सौंपा ज्ञापन, ये है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने सभी कोर्ट को धारा को लेकर दिया था निर्देश

साल 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट के सामने फिर यह मुद्दा उठा था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और देशभर के उच्च न्यायालयों को निर्देश दिए थे कि इस धारा के तहत नागरिकों को अभियोजित करने से रोका जाए. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को सभी विचारण न्यायालयों को इस तथ्य से अवगत करवाने को भी कहा था. लेकिन फिर भी पुलिस लगातार इस धारा में FIR दर्ज करती आ रही है. सुनवाई के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने लोक अभियोजक को 15 जुलाई को केस डायरी पेश करने का आदेश पारित किया है.

Last Updated : Jul 7, 2021, 8:04 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details