जोधपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है. 199 सीटों पर हुई मतगणना में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है. प्रदेश में अलग-अलग मुद्दों पर ये चुनाव लड़ा गया, लेकिन जोधपुर जिले में हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा बढ़-चढ़कर बोला, जिसके पीछे पिछले साल हुई जालोरी गेट की घटना भी थी. जालोरी गेट पर हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद जोधपुर में ध्रुवीकरण का दौर चला, जिसका असर इस चुनाव में देखने को मिला. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि उसी घटना के कारण जोधपुर में कांग्रेस का वोट बैंक घट गया और भाजपा को इसका फायदा हुआ. जोधपुर के सूरसागर से विजयी भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जोशी ने भी कहा है कि इतनी बड़ी जीत के पीछे सनातनियों का हाथ है.
क्या ध्रुवीकरण रहा की-फैक्टर ? : पीएम मोदी ने अक्टूबर में क्षेत्र में जनसभा की थी. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी मतदान से पहले सरदारपुरा में जनसभा की थी. इस दोनों सभाओं ने जनता का मिजाज बदल दिया. जालोरी गेट पर गत वर्ष हुए सांप्रदायिक तनाव भी पोलराइजेशन की बड़ी वजह बनी, जिससे भाजपा प्रत्याशियों को बड़ा जनसमर्थन मिला. यहां तक कि सीएम गहलोत की जीत का अंतर भी लगभग आधा रह गया. बता दें कि गत वर्ष 2-3 मई को जालोरी गेट पर सांप्रदायिक तनाव हुआ था, जिससे दंगा भी हुआ. इस घटना को लेकर भाजपाई तब से आक्रामक रहे हैं. रविवार को चुनाव जीतने के बाद भाजपा के अतुल भंसाली जालोरी गेट सर्किल गए और शाहिद बालमुकुंद बिस्सा को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान भारी भीड़ ने जबरदस्त नारेबाजी की. आइए जानते हैं किन सीटों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ा...
जोधपुर शहर : पूरा घटनाक्रम ही इसी सीट पर हुआ था, तो जाहिर है सबसे अधिक असर इसी सीट पर पड़ेगा. 2018 से पहले पिछले 15 सालों से यह विधानसभा भाजपा का गढ़ थी, लेकिन विगत चुनाव में सीएम अशोक गहलोत ने सोशल इंजीनियरिंग करते हुए मूल ओबीसी की मनीषा पवार को यहां पर उतारा. विधानसभा क्षेत्र में मूल ओबीसी की संख्या भी बहुत ज्यादा है. ऐसे में मनीषा पवार जीत गईं. भाजपा ने अपनी नीति नहीं बदली, इस बार भी महाजन वर्ग के अतुल भंसाली को उतारा है. जालौरी गेट पर हुई सांप्रदायिक घटना और अगले दिन हुए दंगे का असर चुनाव में देखने को मिला. उस घटना में सर्वाधिक प्रभावित मूल ओबीसी के लोग हुए थे, जिन्होंने इस बार मनीषा पवार से किनारा किया और भंसाली को जीताया.