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जोधपुर: भोपालगढ़ पूर्व सरपंच प्रमिला चौधरी ने संभाला मोर्चा, आमजन की मदद के लिए आईं आगे - rajasthan news

जीवन में सेवा को मकसद बनाकर चल रही जोधपुर के भोपालगढ़ में खारिया खंगार की पूर्व सरपंच और समाज सेविका प्रमिला चौधरी लाॉडाउन के दौरान गांव में जरुरतमंद लोगो की मदद करने को आगे आई है.

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Published : Apr 1, 2020, 3:35 PM IST

भोपालगढ़ (जोधपुर).पति के देहांत के बाद दुख में गिरने की बजाय प्रमिला चौधरी ने घर, परिवार गांव की सभी जिम्मेदारियां निभाते हुए समाज के सामने संघर्ष और हौसलों की अपनी मिसाल पेश की है. यहां बात हो रही है भोपालगढ़ उपखंड क्षेत्र के खारिया खंगार में रहने वाली पूर्व सरपंच युवा उद्यमी, समाजसेविका प्रमिला चौधरी की.

जिसने अपने पति के देहांत के बाद अपने जिम्मे आई जिम्मेदारियों को बखूबी निभाकर समाज के सामने जिम्मेदार नागरिक के रूप में उपस्थिति दर्ज कराई है. आठ साल पहले हादसे में अपने पति रमेश चौधरी को खोने के बाद उन्होंने परिवार के साथ-साथ पति के कारोबार को भी संभाला. साथ ही समाजसेवा का कार्य करने पर उसे कई सामाजिक संस्थाओं ने भी सम्मानित किया है.

पूर्व सरपंच प्रमिला चौधरी ने संभाला मोर्चा

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बता दें कि प्रमिला चौधरी दो बच्चों की मां है. अब वह पति के व्यापार और समाज सेविका के कार्यों को भी संभालती हैं. कोरोना वायरस के दौरान लॉकडाउन चल रहा है. ऐसे में गांव में सोडियम हाइड्रो क्लोराइड का स्प्रे करना, गरीब परिवारों को भोजन के लिए राशन सामग्री वितरण और वेलनेस सेंटर पर रहने वाले ग्रामीणों के लिए मास्क की व्यवस्था भी, साथ ही गांव में जरूरतमंद की मदद में आगे भी आई हैं.

जिला प्रशासन ने किया सम्मानित

पूर्व सरपंच और समाज सेविका प्रमिला चौधरी धार्मिक, सामाजिक कार्य, पर्यावरण सरंक्षण के लिए, पति की याद में ब्लड कैम्प, आंखों का कैम्प, जरूरतमंदों को कपड़े वितरण, स्कूलों में गरीब बच्चों को शिक्षा में सहयोग के लिए कंप्यूटर प्रिंटर, स्पोर्ट्स कपड़े, गौशाला में दान, गायों का इलाज, लायंस क्लब में अहम आदि कार्य कर रही है. वहीं जिला प्रशासन ने उन्हें वर्ष 2015 में समाज सेविका के रूप में सम्मानित किया था.

सेवा ही हो जीवन का उद्देश्य

प्रमिला ने बात करते हुए बताया कि अपने पति के अधूरे सपने को पूरा करना ही उनका उद्देश्य है. पति के खारिया खंगार में ट्रांसपोर्ट कारोबार को संभालने के साथ ही परिवार और समाज में लोगों की सेवा करना, पर्यावरण संबंधी कार्य, धार्मिक कार्य, स्कूलों में शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को कंप्यूटर और खेल सामग्री देना, गौसेवा करना उनका अहम मिशन है.

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नहीं मानी हार, लिया दृढ़ संकल्प-

अपने गांव में पूर्व सरपंच होने के साथ लायंस क्लब के पदाधिकारी भी है. पति के देहांत के बाद उसे सरपंच पद पर ग्रामीणों ने मनोनीत किया. हर आम सामान्य गृहणी की तरह रहने वाली प्रमिला चौधरी ने अपने पति की मृत्यु के बाद हार ना मानकर संघर्ष से आगे बढ़ी, पति के व्यापार के साथ दो बच्चों को पढ़ाया लिखाया. 8 साल पहले हुई पति की अचानक मृत्यु से उनका पूरा परिवार सदमे में था, लेकिन प्रमिला के आगे बढ़ने के संकल्प ने अपने परिवार को दुख से उबार दिया.

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