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रियलिटी चेकः पाक विस्थापितों के लिए नाकाफी है गहलोत सरकार द्वारा दिया जा रहा राशन

प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान पाक-विस्थापितों तक राहत सामग्री पहुंचाने की सीएम अशोक गहलोत ने बात कही थी. राशन सामाग्री पहुंच भी रही है लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है. इसी का जायजा लेने के लिए हम जोधपुर जिले की सूखी शहर के पथरीले इलाके पर बसी काली बैरी में रह रहे 190 परिवारों का के बीच पहुंचे...

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सरकारी राशन पाक-विस्थापितों के लिए 'ना'काफी.

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Published : Apr 23, 2020, 8:22 PM IST

Updated : Apr 23, 2020, 10:51 PM IST

जोधपुर. प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान ऐसे पाक विस्थापितों तक भी राहत सामग्री पहुंचाई जाएगी जिन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली है, यह घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत दिनों की थी. इसके बाद जोधपुर में रह रहे परिवारों का सर्वे हुआ और उसके बाद सूखी शहर के पथरीले इलाके पर बसी काली-बैरी में रह रहे 190 परिवारों का सर्वे हुआ.

सरकारी राशन पाक-विस्थापितों के लिए 'ना'काफी.

इसमें से 165 परिवारों को राशन सामग्री भी वितरित की गई जिन्हें अभी नागरिकता मिलनी बाकी है. इस सामग्री में जिसमें 10 किलो आटा, एक किलो नमक, एक लीटर तेल व एक किलो दाल शामिल है. इसके अलावा मिर्च, हल्दी सहित अन्य सामग्री नहीं मिली.

एक परिवार में 8 से ज्यादा सदस्य:

परेशानी वाली बात यह है कि, इन पाक विस्थापितों के एक परिवार में 8 से ज्यादा सदस्य हैं. ऐसे में सरकार की तरफ से मिल रही यह सामग्री उंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है. जो सामान मिला दो से तीन दिन में ही खत्म हो गया. इसके बाद पाक-विस्थापित लोग आस-पास के लोगों से मांगकर, या फिर जैसे तैसे जी रहे हैं.

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हाल में हुए सर्वे के मुताबिक, कुछ को 15 दिन के अंतराल में दो बार सामाग्री मिली है तो ज्यादातर को एक बार ही बार. इस बस्ती में रहने वाले सभी लोग प्रतिदिन मजूदरी कर अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. ऐसे में लॉक डाउन के दौरान रुपए पैसे का भी संकट है इसके चलते उधार नहीं मिलता है.

बस्ती के लोग एक दूसरे की सहायता कर काम चला रहे हैं. कमोबेश यही हालात अन्य पाक विस्थापितों की बस्तियों का भी है. जहां सर्वे के बाद एक बार सामग्री पहुंची है. पाक-विस्थापित लोगों की मांग है कि, प्रशासन जो सामग्री दे रहा है उसकी मात्रा को पढ़ाए ताकि वो दो जून की रोटी खा सके.

Last Updated : Apr 23, 2020, 10:51 PM IST

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