जयपुर.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने की अपील करते हुए 2 अक्टूबर से इस अभियान को शुरू करने की बात भी कही. लेकिन इससे पहले ही केंद्रीय मंत्रालयों में इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है. लेकिन जयपुर में शहर की सरकार हो या शहरी कार्यक्रम, यहां हर कमरे और हर मंच पर सिंगल यूज प्लास्टिक बोतलें देखी जा सकती हैं. इस पर लगाम लगाने वाले या तो नियमों के अध्ययन की बात कहते हैं या सब्सीट्यूट खोजने की. यही नहीं, शहर के प्रथम नागरिक तो इस मामले पर चुप्पी ही साध गए.
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बता दें कि एक बार इस्तेमाल कर फेंके जाने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाम कसने की केंद्र सरकार युद्ध स्तर पर तैयारी कर रही है. केंद्र सरकार के ज्यादातर मंत्रालयों में प्लास्टिक की बोतलों में पानी का इस्तेमाल भी बंद हो गया है और अधिकारियों को कांच की बोतल और गिलास दिए जा रहे हैं. लेकिन प्रदेश की राजधानी जयपुर में जिस विभाग के पास सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी है, वहीं अधिकारियों के कमरों में आव भगत के लिए 200ml वाली प्लास्टिक वाटर बोतल का इस्तेमाल किया जा रहा है.
यही नहीं, छोटे-बड़े कार्यक्रमों और प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इन्हीं प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल हो रहा है. जहां इन प्लास्टिक की बोतल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है वो भी जानते हैं कि इन्हें रीसाइकिल भी नहीं किया जा सकता. लेकिन इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने नगर निगम के कद्दावरों से सवाल किया तो जवाब भी कुछ अनोखे ही आए. सबसे पहले निगम में दो समितियों के चेयरमैन भगवत सिंह देवल ने कहा कि अभी बोतल का तो कोई सब्सीट्यूट ही नहीं. हां, थैलियों का सब्सीट्यूट जरूर है. उन्होंने कहा कि निगम में तो गिलास इस्तेमाल हो जाएंगे, लेकिन रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड सभी जगह गिलास सक्सेसफुल नहीं है.
वहीं बीजेपी पार्षद और पूर्व चेयरमैन अनिल शर्मा ने पीएम मोदी की पहल का स्वागत किया, साथ ही कहा कि पानी पीने की बोतल की जगह गिलास और रामजारे का इस्तेमाल होना चाहिए. नगर निगम में बोतल की परिपाटी बंद हो, इसके लिए मेयर और कमिश्नर से बात की जाएगी. इसके बाद ईटीवी भारत निगम के उस कमरे में गया, जहां सबसे ज्यादा लोगों की आवाजाही रहती है और पाया कि यहीं सबसे ज्यादा 200ml प्लास्टिक बोतल का इस्तेमाल किया जा रहा है. मेयर विष्णु लाटा के कमरे में पहुंचने पर यही परिदृश्य देखने को मिला. सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर पहले तो मेयर ने कठोर कार्रवाई, लोगों में जागृति और प्लास्टिक बैन जैसे कई जुमले कहे. लेकिन निगम में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक बोतलों के सवाल पर वो चुप्पी साध गए.
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आखिर में कमिश्नर विजय पाल सिंह के कमरे में पहुंचे तो वहां पानी से भरा गिलास सामने आया. लेकिन जब उनसे पूरे निगम परिसर में प्लास्टिक की बोतल बंद करने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने नियमों के परिपेक्ष में अध्ययन कराए जाने के बाद कार्रवाई करने की बात कहकर सवाल को टाल दिया. इससे पहले यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने पीएम मोदी की इस मुहिम पर ही सवाल खड़े कर दिए थे और अब निगम के कद्दावरों के बयानों से ऐसा लग रहा है मानो शहर और राज्य की सरकार केंद्र की इस पहल से इत्तेफाक नहीं रखती. लेकिन ये बात बिल्कुल ठीक है कि प्लास्टिक हर तरह से पर्यावरण के लिए हानिकारक है और इस पर लगाम लगनी ही चाहिए. देखना होगा कि सिंगल यूज प्लास्टिक बैन करने के इस अभियान से राजस्थान के लोग किस हद तक जुड़ते हैं.