जोधपुर.जिले में किसानों की हालत बेहद दयनीय है. किसानों की खास तौर से मांग है कि कोरोना काल में जो बिजली के बिल जारी हुए हैं, वे माफ किए जाएं, क्योंकि किसानों की हालत इतनी खराब है कि उनके पास बिल भरने के लिए रुपये तक नहीं हैं. ज्यादातर किसानों को किसान सम्मान निधी और अन्य मुआवजे की राशि भी नहीं मिली है. ऐसे में ओसियां के कर्ज में डूबे एक किसान ने तालाब में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली.
कर्ज ने ली किसान की जान... जोधपुर जिले के अधिकांश किसानों ने ऋण लेकर रखा है. कुछ तकनीकी कारणों के चलते ज्यादातर की राशि राज्य सरकार ने ही रोक ली है. इसके अलावा जिनके खातों में पैसा जमा हुआ है, उनके खातों को बैंकों ने ब्लॉक कर दिया है, जिससे वे मुआवजे की राशि नहीं उठा सके. दूसरी तरफ बैंक खुद अपने पहले के कर्ज की वसूली में लगा हुआ है. ऐसे में जिले के किसान परेशान हैं. आए दिन कर्ज से परेशान होकर किसान अपनी इहलीला समाप्त कर रहे हैं. एक ऐसे ही मामले में दो महीने पहले ओसियां विधानसभा के चांदरख गांव निवासी एक किसान ने आत्म्हत्या कर ली, क्योंकि शेर सिंह पर बैंक का साढे़ तीन लाख रुपये का कर्ज था, जिसे वो चुकाने में असमर्थ था. लॉकडाउन शुरू होते ही उसे बैंक का नोटिस मिला. यहां तक कि बैंक मैनेजर ने घर आकर भी कहा कि रुपये नहीं चुकाए हैं, ऐसे में अब जमीन की कुर्की होगी.
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शेर सिंह के रिश्तेदार ने बताया कि बैंक मैनेजर के आने के बाद वो ज्यादा परेशान रहने लगा था. वो गुमसुम रहता था, किसी से कोई बात नहीं करता था. लक्ष्मण सिंह ने बताया कि एक दिन उसने कहा कि ई-मित्र जाना है. मेरे मुआवजे की किश्ते आई हैं. वहां गए तो पता चला कि बैंक अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया, जिससे राशि उठा नहीं सकते. इसके दो-तीन बाद 14 जून को सुबह-सुबह ही शेर सिंह ने गांव के तलाब में छलांग लगा दी.
बता दें कि मृतक किसान शेर सिंह के परिवार में तीन बेटियां, एक बूढ़ी मां और पत्नी है. शेर सिंह को गए दो महीने होने के बाद भी परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है. मृतक किसान की पत्नी रो-रोकर कहती हैं कि कर्ज के कारण मौत हुई है. तगादा करने आते थे, तंग करते थे. घर खर्च भी मुश्किल से चलता था, ऐसे में कर्ज कहां से भरते. मैनेजर तीन बार आया, साढ़े तीन लाख रुपये चुकाने थे. मैनेजर बोला पैसे भरो वरना मकान कुर्क कर देंगे. मृतक की पत्नी को अब अपने परिवार की चिंता सता रही है. वो कहती हैं कि एक बेटी है, पता नहीं अब घर कैसे चलेगा.
किसान की मौत के बाद बैंक से कोई अधिकारी और प्रशासन का अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा. अलबत्ता शेर सिंह के भाई ने यूको बैंक के मैनेजर के खिलाफ खेडापा थाने में प्रताड़ित करने के आरोप की रिपोर्ट दर्ज करवाई, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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थोब ग्राम को-ऑपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष मूल सिंह राजपुरोहित का कहना है कि क्षेत्र में बैंक का कर्ज नहीं चुकाने वाले किसानों के मुआवजे की राशि बैंकों ने ही रोक दी है. किसान सम्मान निधि की राशि भी राज्य सरकार ने रोकी है. आधे से ज्यादा किसानों को राशि नहीं मिली है, क्योंकि उन्होंने पहले बैंकों से ऋण ले रखा है. शेर सिंह की तरह ही कर्जे से परेशान नेवरा रोड निवासी जगदीश ने 19 अगस्त की रात को पेड़ से लटक कर जान दे दी थी. इससे पहले इसी गांव के मोटाराम ने भी आत्महत्या कर ली थी.
राज्स्थान में कर्जे से परेशान किसानों के आत्महत्या करने के मामले बहुत कम सामने आते हैं, ज्यादातर महाराष्ट्र कर्नाटक व अन्य राज्यों से आते हैं. मुख्यमंत्री के गृह नगर में बीते 3 महीने में 3 किसानों की मौत ने सबको चौंका दिया है. क्षेत्र के पूर्व विधायक भैराराम सियोल बताते हैं कि किसानों की हालत खराब है. तीन लोग और आत्महत्या कर चुके हैं, लेकिन सरकार सुनवाई नहीं कर रही है.