नई दिल्ली.नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जोधपुर के जयसमंद झील के आसपास खनन नहीं रोक पाने पर उदयपुर के खनन और भूगर्भ विभाग पर पर्यावरण मुआवजे के तौर पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. जस्टिस एस रघुवेन्द्र राठौड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मुआवजे की इस रकम को दो हफ्ते के अंदर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के यहां जमा करने का निर्देश दिया.
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याचिका में कहा गया है कि जोधपुर के जयसमंद झील के जलग्रहण इलाके में अवैध खनन रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किया जाए. याचिका में बताया गया कि सिंचाई और पेयजल के लिए कुंओं के जलस्तर भी गिरता जा रहा है. इलाके के प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण की जरुरत है. पर्यावरण, कृषि पेड़-पौधों इत्यादि को हुए नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए.
एनजीटी ने लगाया राजस्थान सरकार पर जुर्माना याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने पहले उदयपुर के खनन और भूगर्भ विभाग को इस पर तत्काल कदम उठाने और अवैध रुप से खनन करनेवालों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. एनजीटी ने 21 अक्टूबर 2013 को राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश का भी उल्लेख किया. जिसमें इलाके को खनन मुक्त करने का आदेश दिया गया था. एनजीटी ने खनन और भूगर्भ विभाग को सभी तरह के खनन को बंद करने का आदेश दिया था. खनन और भूगर्भ विभाग ने पिछले जनवरी में अपनी रिपोर्ट सौंपी तो एनजीटी ने पाया कि अवैध खनन करने वालों को केवल नोटिस जारी कर छोड़ दिया गया. उनसे पर्यावरण मुआवजा वसूलने की कोई कार्रवाई नहीं की गई.
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राजस्थान के खनन और भूगर्भ विभाग के सचिव एनजीटी में पेश
वहीं सोमवार को सुनवाई के दौरान राजस्थान के खनन और भूगर्भ विभाग के सचिव एनजीटी में पेश हुए और कहा कि फरवरी 2019 से जयसमंद झील के आसपास कोई खनन नहीं हुआ है. लेकिन इस दावे का याचिकाकर्ता ने खंडन किया. याचिकाकर्ता ने जो फोटोग्राफ एनजीटी को सौंपे थे. उसमें साफ दिख रहा था कि कई जगह गड्ढे बने हए हैं. याचिकाकर्ता ने अवारा , बोरिया, सुलावास, बामबोरा गांवों में बने गड्ढों के फोटो एनजीटी को सौंपे थे. इन गड्ढों पर भूगर्भ विभाग के सचिव ने कहा कि ये मानसून की वजह से गड्ढे बने होंगे. लेकिन जो फोटोग्राफ थे वे मानसून के पहले के थे. उसके बाद एनजीटी ने खनन और भूगर्भ विभाग के सचिव को दावे को गलत बताते हुए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया. एनजीटी ने निर्देश दिया कि उन गड्ढों को तुरंत भरा जाए.