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जेएनवीयू छात्रनेता और परिवार के खिलाफ फर्जी दस्तावेज से जमीन अपने नाम करने का मामला दर्ज

जोधपुर में जेएनवीयू के छात्रनेता व उसके परिवार के खिलाफ फर्जी दस्तावजे से जमीन हथियाने का मामला दर्ज करवाया गया है.

land captured with fake documents
फर्जी दस्तावजे से जमीन हथियाने का मामला दर्ज

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 17, 2024, 4:27 PM IST

जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्रनेता राजवीर बांता व उसके परिवार के विरुद्ध उदयमंदिर थाने में एक व्यक्ति ने अपने पुत्र की फर्जी ​वसीयत बनाकर भूखंड अपने नाम करने का मामला दर्ज करवाया है. उदयमंदिर थाना पुलिस ने बताया कि सुभाष चौक रातानाडा निवासी भंवरलाल सोनी ने रामकिशोर बांता, उनकी पत्नी किरण, पुत्री सुषमा व पुत्र राजवीरसिंह व अन्य ​के विरुद्ध रिपोर्ट दी. जिस पर धोखाधड़ी व जाली दस्तावेज बनाने का प्रकरण दर्ज किया गया है.

मामले की जांच एएसआई गिरधरसिंह को दी गई है. एएसआई ने बताया कि भंवरलाल सोनी ने नांदडी ग्राम में अपने पुत्र भरत के नाम से 8 बीघा जमीन ली थी, यहां मकान भी बनाया. वह खुद रातानाडा रहते हैं. ऐसे में जमीन व मकान की देखरेख के लिए अपनी मुंहबोली बेटी विमला पत्नी महेंद्र जाट को नियुक्त कर रखा है. भंवरलाल सोनी को 15 जनवरी को पता चला कि रामकिशोर बांता, किरण बांता, सुषमा सिंह व राजवीर बांता व अन्य ने मिलकर भूखंड अपने नाम करवाए हैं.

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बाद में अगले दिन पंजीयन कार्यालय से संपर्क कर दस्तावेज निकाले, तो सामने आया कि आरोपियों ने भंवरलाल के पुत्र भरत सोनी जिसकी मृत्यु 2017 में हो चुकी है. उसका फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनाकर पहले वसीयत तैयार की. इसके बाद वसीयत के आधार पर रामकिशोर ने अपनी पत्नी व पुत्री के नाम दो भूखंडों की गिफ्टडीड रजिस्टर्ड करवा ली. इसमें पुत्र राजवीरसिंह बांता, अजय पारासरिया, मंजू, बगदाराम, पेमाराम व मोहम्मद हनीफ ने सहयोग किया. फर्जी वसीयत में अंगूठे, गवाह फर्जी प्रतीत हो रहे हैं. फोटो भी नहीं लगा हुआ है. उल्लेखनीय है कि राजवीर बांता ने गत वर्ष जेएनवीयू छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव एबीवीपी से लड़ा था.

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दिसंबर में की थी तोड़फोड़: रिपोर्ट में भंवरलाल ने बताया कि 30 दिसंबर को रामकिशोर अपनी पत्नी व अन्य के साथ भूखंड पर गया और वहां पर तोड़फोड़ की थी. जिसको लेकर महेंद्र जाट ने बनाड थाने में मामला दर्ज करवाया था. जिसकी अभी जांच चल रही हैं. बनाड पुलिस को रामकिशोर भूखंड अपना बताया था. पुलिस ने इसके दस्तावेज मांगे, तो वापस थाने नहीं गया. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस दौरान उसने फर्जी दस्तावेज तैयार कर गिफ्ट डीड करवा ली.

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