जोधपुर. जिले में हजारों की संख्या में पाक विस्थापितों को अभी अपनी नागरिकता का इंतजार है. बरसों से नागरिकता के इंतजार में उन्हें किसी तरह की पहचान नहीं मिल रही है. जिसके चलते वह सभी तरह की सरकारी मुफ्त सुविधाओं से वंचित है यहां तक कि सरकारी अस्पताल में निशुल्क उपचार भी उन्हें नहीं मिलता है, क्योंकि उनके पास न तो आधार कार्ड है ना ही भामाशाह इतना ही नहीं निजी जांच केंद्र पर गर्भवती की सोनोग्राफी तक नहीं होती है.
पहचान को मोहताज पाक विस्थापित बिजली और पानी को हो रहे मोहताज
जोधपुर में रह रहे पाक विस्थापितों को पहचान का अभाव होने से सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है, बच्चों के स्कूलों में दाखिले नहीं हो रहे हैं. सरकारी अस्पताल में भी निशुल्क चिकित्सा से वंचित है.
आधार और अन्य पहचान पत्र नहीं होने से बच्चों के स्कूल में एडमिशन नहीं हो रहे हैं. पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से परेशान होकर आए इन हिंदुओं को जोधपुर में काम मिलने में भी परेशानी होती है क्योंकि उनके पास अपनी पहचान नहीं है. बमुश्किल वह यहां पहले से नागरिकता लेकर रह रहे अपने मिलने वालों की गारंटी पर जीवन यापन कर रहे हैं. जोधपुर में पाक विस्थापित लोगों की कई बस्तियां है जिनमें सबसे बुरे हाल चोखा की इस बस्ती का है.
जोधपुर में पिछले चार-पांच सालों में आए पाक विस्थापितों को एक बस्ती के रूप में बसाया गया है. जहां किसी तरह का पक्का निर्माण नहीं है. कच्ची झोपड़ियों में ही यह सालों से रह रहे हैं. उधार की बिजली लेकर वह एक सरकारी नल से काम चला रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि यहां एक दिन निकलना दूभर होता है जिसमें यह लोग अपना जीवन निकाल रहे है. वर्तमान में जोधपुर जिले में ऐसे करीब 9 हजार पाक विस्थापित है जिनको नागरिकता का इंतजार हैं.