जोधपुर.विटामिन-C का सबसे बड़ा स्रोत आंवला होता है, जिसमें औषधीय गुणों की भी भरमार होती है. अच्छी बारिश के चलते जोधपुर के केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) में इस बार आंवले की जबरदस्त फसल हुई है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि पश्चिमी राजस्थान के किसान अगर इसकी खेती करते हैं उनको अच्छा मुनाफा होगा. काजरी में इस बार 20 टन आंवला हुआ है. काजरी में शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रीय फलों पर काम कर रहे वैज्ञानिक डॉ. धीरज सिंह का कहना है कि काजरी में कुल 20 तरह के आंवले की किस्मों का संग्रह है. काजरी ने 8 वैरायटी के ऑर्गेनिक आंवले तैयार किए हैं, इनमें चेकैया, बनारसी, एनए-7, कृष्णा, कंचन, एनए-10, आनंद-2 व फ्रांसिस नामों की किस्में शामिल हैं जो पूरी तरग ऑर्गेनिक हैं. आंवले से रस, मुरब्बा, केंडी, चटनी व सुखाकर उपयोग में लिए जा सकते हैं. आंवला का सेवन हर आयु वर्ग के लोगों के लिए लाभकारी है. सर्दी में आंवला ज्यादा लाभकारी होता है.
किसानों के लिए फायदेमंद :धीरज सिंह का कहना है कि मारवाड़ में शुष्क जलवायु के चलते आंवले में कीड़े व बीमारियों का प्रकोप न के बराबर होता है. नकदी फसल होने से किसानों को बाजार में भाव अच्छा मिलता है. कम पानी में भी पौधा लग जाता है और तीन साल बाद फल आने लगते हैं. पौधे की औसत आयु तीस साल होती है. एक पौधे से 50 किलो से ज्यादा आंवले निकलते हैं. इसमें दिसंबर से मार्च तक फल आते हैं. किसान खेत में एक निश्चित जगह पर आंवले के पेड़ लगाकर दूसरी फसल भी ले सकता है. इसकी जड़े गहरी होने से ट्रैक्टर के उपयोग से भी नुकसान नहीं होता.