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पंचों का फरमानः राजीनामा से बाल विवाह तोड़ने के बाद भी किया समाज से बहिष्कृत, जाने क्या है कहानी - 5 लाख का जुर्माना भी लगाया था

भले ही समाज और देश बदल रहा हो लेकिन कुछ जगह ऐसी हैं. जहां देश का कानून नहीं पंच परमेश्वर ही निर्णय ले रहे हैं. ऐसा ही एक फरमान जोधपुर के बोरानाडा क्षेत्र में लगने वाले गांव के पंचों ने सुनाया है. उन्होंने बाल विवाह रजामंदी से तोड़ने वाले नाबालिग लड़की के पिता पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाने के बाद उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया.

breaking child marriage with resignation
राजीनामा से बाल विवाह तोड़ने के बाद भी किया समाज से बहिष्कृत

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Published : May 1, 2023, 9:45 PM IST

जोधपुर. बोरानाडा थाने में जातीय पंचों द्वारा एक परिवार को समाज से बहिष्कृत कर पांच लाख का दंड लगाने का मामला सामने आया है. गरीब परिवार ने पंचों को ढाई लाख रुपए का दंड भी भर दिया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया गया. इसको लेकर पीड़ित परिवार ने पंचों के खिलाफ बोरानाडा थाने में मामला दर्ज करवाया है. जिसकी पुलिस ने जांच शुरू कर दी है.

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राजीनामा के बाद दोनों परिवारों ने तोड़ थी शादीः प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना क्षेत्र के भांडू निवासी एक नाबालिग का विवाह 2004 में हुआ था. बाद में दोनों पक्षों में आपसी राजीनामा कर गौना होने से पहले ही सितंबर 2022 में विवाह को समाप्त कर लिया. दोनों परिवार ने लड़का और लड़की को दूसरी जगह शादी करने के लिए स्वतंत्र कर दिया. इसके बाद जब लड़की के परिवार ने दूसरी जगह रिश्ता तलाशना शुरू किया तो यह समाज के पंचों को ये नागवार गुजरा. उन्होंने फरमान जारी कर दिया कि लड़की की शादी दूसरी जगह की तो समाज से बहिष्कृत कर देंगे. पीड़ित परिवार ने समाज के पंच जोधाराम मेघवाल, गिरधारी राम, लूणाराम व अन्य के विरुद्ध थाने में कर दी है.

पंचों के सामने हुआ था बाल विवाह खत्म करने का फैसलाः बोरानाडा थाना के एएसआई और जांच अधिकारी दमाराम ने बताया कि पीड़ित परिवार ने अपनी रिपोर्ट में पंचों पर आरोप लगाया कि परिवार बेहद गरीब है. पांच लाख की व्यवस्था नहीं कर सकता. बाल विवाह खत्म करने का फैसला दोनों परिवारों ने किया उसमें पंच भी मौजूद थे. फिर भी जोधराम सहित अन्य पंच परेशान कर रहे है. परिवार को एक माह का समय दंड भरने के लिए दिया. परिवार राशि नहीं दे सका तो उन्हें समाज से बहिष्कृत करने का फरमान जारी कर दिया. लोगों से कहा गया कि किसी ने संबंध रखे तो उनके खिलाफ भी दंड लगाया जाएगा. इससे परेशान परिवार ने ढाई लाख रुपए एकत्र कर पंचों को दिए. इसके बाद भी वे नहीं माने और उनका बहिष्कार वापस नहीं लिया. आखिरकार परिवार को थक-हारकर पुलिस की शरण लेनी पड़ी.

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