खाता बही की दुनिया अनोखी... जोधपुर.खाता बही की दुनिया अनोखी है. यह विधा वैदिक काल से चली आ रही है. अकाउंट से जुड़ने वाले भावी स्टूडेंट्स को इसकी जानकारी देने और इसमें हुए बदलाव से परिचित करवाने के लिए जोधपुर के इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट शाखा में अकाउंट म्यूजियम ऑफ इंडिया की शुरुआत हुई है. इस म्यूजियम में लेखा-जोखा या एकाउंटिंग जो कि वैदिक काल, मुगल काल, अंग्रेजी शासन और वर्तमान समय के रूप को अलग-अलग तस्वीरों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है.
जोधपुर शाखा के चेयरमैन धवल कोठारी का कहना है कि यह म्यूजियम केवल अकाउंट के स्टूडेंट ही नहीं, शहरवासी भी देख सकते हैं. जोधपुर के अलावा आईसीएआई की अन्य शाखाओं में भी म्यूजियम खोला जा रहा है, जिससे एकाउंट्स के प्रति जागरूकता आए. इस म्यूजियम में लगी फ्रेम में दर्शाया गया है कि पहले कैसे वस्तु विनिमय होता था. पहले कैसे पत्थरों पर आकृति उकेर कर काम होता था और समय के साथ किस तरह इसमें बदलाव हुआ.
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म्यूजियम में लगी फ्रेम को अलग-अलग विषय के अनुरूप दर्शाया गया है. पहला विषय हिस्ट्री ऑफ एकाउंटेंसी है, जिसमें बताया गया है कि अकाउंटेंसी का जन्म कैसे हुआ. इसके लिए मनुस्मृति, उपनिषद, रामायण काल यहां तक कि कुरान का भी उल्लेख किया गया है. उस काल में किस तरह से कार्य होता था. माना जाता है कि जहां मनुष्य निवास करता है वहां व्यापार, व्यवसाय और व्यवस्था के लिए किसी न किसी पद्धति को उपयोग में लिया जाता रहा है.
इसी तरह से टोकन ऑफ अकाउंटिंग जिसमें बताया गया है कि सिक्कों से पहले व्यापार कैसे होता था. तीसरी फ्रेम में इंडियन हेरिटेज अकाउंटेंसी, चौथी फ्रेम में फर्स्ट कॉइन ऑफ वर्ल्ड एंड इंडिया, पांचवीं में इस्लामिक कुरान में एकाउंटिंग, इस्लामिक काल में लेन-देन के तरीके जकात आदि की जानकारी दी गई है. इसके अलावा दिल्ली सल्तनत और मुगल काल को भी अलग-अलग फ्रेम में दर्शाया गया है. इसी तरह पुर्तगाल और अंग्रेजों के समय की भी व्यवस्था यहां प्रदर्शित की गई है.
जानें कब क्या हुए बदलाव... पहले टॉपर की डिग्री भी प्रदर्शित : म्यूजियम में इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट से देश के पहले सीए टॉपर अजीत भंडारी की डिग्री लगी है. भंडारी ने 1949 में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया था. गोल्ड मेडलिस्ट बने. उनकी डिग्री यहां प्रदर्शित की गई है. इसके अलावा भारत में आईसीएआई के गठन से जुड़ी फ्रेम भी यहां प्रदर्शित है.