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Jodhpur Cylinder Blast: इस गली में दिवाली की रौनक नहीं, रोज गूंज रहे मातम के स्वर

जोधपुर के कीर्तीनगर की गली में हुए सिलेंडर ब्लास्ट (Jodhpur Cylinder Blast) में 10 दिनों से मातम के स्वर ही गूंज रहे हैं. 10 दिन में यहां से सात अर्थियां निकल चुकी हैं. इस गली में इसबार दिवाली की रौनक भी नहीं दिखेगी. यहां घरों में त्योहार की तैयारियां नहीं घरों में शोक सभाएं चल रही हैं.

Jodhpur Cylinder Blast
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Published : Oct 20, 2022, 6:03 AM IST

जोधपुर.शहर के मंगरा पूंजला के कीर्तीनगर की गली में बीते 8 अक्टूबर को गैस सिलेंडर हादसे के (Jodhpur Cylinder Blast) बाद से सन्नाटा पसरा है. गली में रोजाना की चहल-पहल नहीं नजर आती है. ऐसा इसलिए क्योंकि दस दिनों में यहां सात लोगों की अर्थियां निकल चुकी हैं. सभी शोक संतृप्त हैं. आलम यह है कि 10 दिन से मृतकों के लिए हो रहीं शोक सभाएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. यहां दिवाली की रौनक नहीं मातम के स्वर गूंज रहे हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बार की ये काली दिवाली यहां के लोग कभी भुला नहीं पाएंगे. बुधवार सुबह ही लोगों ने नम आंखों से अशोक जोशी को विदा किया था. लोगों का कहना है कि सरकार को इन परिवारों की सुध लेने में गंभीरता दिखानी होगी. अभी भी हादसे में घायल चार लोग अस्पताल में भर्ती हैं. इनमें दो को छुट्टी मिलने के बाद वापस भर्ती करवाया गया है. सरकार की ओर से घोषित मुआवजा भी नहीं मिला है. उसकी प्रक्रिया चल रही है. घायलों के चेक बन गए हैं, लेकिन कई की उपचार के दौरान मृत्यु हो गई है. ऐसे में उनका मुआवजा भी बढ़ गया. उसको लेकर कागजी कार्रवाई चल रही है.

रोज गूंज रहे मातम के स्वर

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दिवाली की रौनक की जगह सन्नाटा
दिवाली नजदीक होने पर हर गली-मोहल्लों में रौनक रहती है. बच्चों में छुट्टियों को लेकर उत्साह बना रहता है, लेकिन इस गली से दिवाली की रौनक गुम हो चुकी है. सभी लोग शोक संतृप्त हैं. यहां से निकली सात लोगों की अर्थी को कांधा दे चुके अमन बताते हैं कि घटना के बाद से लोगों ने घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया है. शाम सात बजे बाद गली में सन्नाटा सा पसर जाता है. त्योहार के मौके पर ऐसे हालात पहली बारआए हैं. सरकार से हमारी गुहार है कि प्रभावित परिवारों के प्रति गंभीरता दिखाए.

इस गली में दिवाली की रौनक नहीं

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कंबल लेकर दौड़ा था अशोक
हादसे के चश्मदीद दिलीप का कहना है कि उस दिन भोमाराम के घर से भट्ठी की तरह आग की लपटें निकल रही थीं. किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी नजदीक जाने की. अशोक सामने ही रहता था. उसे भोमाराम की छोटी बेटी रोती हुई नजर आई तो वह कंबल लेकर दौड़ा और आग में घुस गया. दो साल की बच्ची को बाहर लाने के बाद फिर अन्य को बचाने अंदर गया तभी विस्फोट हो गया. इसके बाद अशोक को किसी ने नहीं देखा. इसी तरह अन्नराज और निरमादेवी के साथ हुआ. वे दूसरों के बचाने के चक्कर में झुलसे थे बाद में मृत्यु हो गई.

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यह था मामला
गत शनिवार को भोमाराम के घर में घरेलू एलपीजी से अवैध रूप से व्यावसायिक सिलेंडर में गैस भरी जा रही थी. इस दौरान ब्लास्ट से आग लग गई. इसके चलते आठ से ज्यादा सिलेंडर में विस्फोट हुए थे. इस हादसे में मौके पर ही भोमाराम का साला सुरेश व उसके तीन बच्चे जिंदा जल गए थे. 16 लोगों को घायल अवस्था में अस्पताल भेजा गया था जिसमें भोमाराम की मां, पत्नी व दामाद के अलावा तीन पड़ोसियों की भी मौत हो गई थी.

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