जोधपुर.प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों को राज्य सीमा पर रोकने और पर्याप्त सुविधाओं के अभाव को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार का पक्ष पूरा होने और दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया.
वहीं, राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संगीत लोढा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता हरिसिंह राजपुरोहित की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई. राजस्थान हाईकोर्ट में बुधवार को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा ने याचिकाकर्ता के जवाब का रिजोइंडर पेश किया और पक्ष रखा.
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सरकार की ओर से बताया गया कि बीते 17 मई 2020 तक 57 हजार लोगों को ट्रेनों के जरिए लाया और ले जाया गया है, जिसमें से 16 हजार श्रमिकों को राजस्थान लाया गया है. वहीं, 41 हजार के करीब श्रमिकों को अन्य राज्य भेजा गया है. साथ ही बसों को लेकर कहा कि 23 मार्च से 17 मई 2020 तक बसों के जरिए कई श्रमिकों को बाहर भेजा तो वहीं, 1922 के करीब श्रमिक राजस्थान में भी लाए गए है.
वहीं, सरकार की ओर से कहा गया कि अब बॉर्डर पर किसी प्रकार का जमावड़ा नहीं है. सभी श्रमिकों को लाने-ले जाने की सुविधाएं उपलब्ध करवा दी गई है. सरकार के इस जवाब पर काउंटर जवाब देते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने कहा कि बॉर्डर पर अभी भी लोगों का जमावड़ा है. उन्होने बीते 14 मई 2020 के कुछ फोटो ग्राफर्स कोर्ट के समक्ष पेश किए, जिसमें रतनपुर-डूंगरपुर बॉर्डर और हमीरगढ़-सिरोही बॉर्डर के है, उसमें लोगों के आने-जाने और जमावड़े के दृ्ष्य है.
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साथ ही ट्रेनों को लेकर कहा कि 17 मई तक कुल 56 ट्रेनों का संचालन हुआ, जिसमें से 16 ट्रेने राजस्थान आई है. जबकि 40 ट्रेने यहा से गई है. यदि सरकार की ओर से जितनी ट्रेने गई है, उनकी वापसी का प्रयास करती तो हजारों श्रमिक राजस्थान आ सकते थे. वहीं, बसों को लेकर जवाब देते हुए कहा कि केवल 2 मई को 1922 लोगों को चूरू जिले में लाया गया है. अन्य की जानकारी सरकार ने अभी नहीं दी है. साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से बुधवार को दलीले पूरी कर दी, जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रखा है.