जोधपुर.आरजीएचएस प्रदेश की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की सरकारी कर्मचारियों को निशुल्क उपचार देने के लिए शुरू की गई एक महत्वकांक्षी योजना है. इसके तहत दवाइयां नहीं मिलने से अब यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. ऐसा भाजपा सरकार के आने से नहीं हो रहा है. अलबत्ता निशुल्क दवा दे रहे दुकानदारों को समय पर भुगतान नहीं करने से पिछले चार महीनों से ऐसा हो रहा है, जिसके चलते जोधपुर के 35 हजार पेंशनर्स और कर्मचारियों को निजी मेडिकल स्टोर पर दवाइयां मिलना लगभग बंद हो गई है. दुकानदार बिना भुगतान के स्टॉक नहीं खरीद पा रहे हैं. मेडिकल स्टोर संचालकों ने बताया कि हम कोशिश कर रहे हैं कि मरीजों को परेशानी नहीं हो, लेकिन बिना भुगतान के कितने दिन दवाइयां देंगे.
185 प्राइवेट मेडिकल स्टोर, 150 का बकाया : जोधपुर शहर और जिले में 185 मेडिकल स्टोर हैं जो आरजीएचएस से जुड़े हुए हैं. इनमें निजी अस्पतालों के स्टोर छोड़ दें तो करीब 150 निजी स्टोर का बकाया करोड़ों रुपए का हो गया है. निजी अस्पतालों के स्टोर का भी बकाया है, लेकिन उनको हर माह भुगतान टूकडों में थोड़ा बहुत होता हैं, क्योंकि इसके अभाव में अस्पताल सेवा बंद कर देते हैं. निजी स्टोर के संचालकों का कहना हैं कि शुरूआत में सही तरीके से भुगतान हो रहा था, लेकिन धीरे-धीरे भुगतान रुकने लगा. बिना प्रोसेस करने वाले टीपीए ने भी जानबूझ कर बिल रोकने शुरू कर दिए, जिसके चलते अब दवाइयां देने में परेशानी हो रही है.