जोधपुर. कोरोना के शुरुआती दौर में जब मामले बढ़ने लगे तो राज्य सरकार ने एक निर्णय लिया था. जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर पाबंदी लगाई थी और ऐसा करने पर 200 रुपए का जुर्माना लगाया गया. लेकिन इसकी पालना हवा हो गई. इतना ही नहीं, जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई और उसके साथ ही पान और गुटखे की दुकानें खुलने लगीं तो सरकार के इस फैसले को भुला दिया गया.
सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर भी प्रतिबंध... आज भी पान की दुकानों के आस-पास पीक से फर्श और दिवारें लाल नजर आ रही हैं. सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर जुर्माना वसूलने का जिम्मा नगर निगम और पुलिस को दिया गया था, लेकिन सभी ने सिर्फ और सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क नहीं लगाने की पालना नहीं करने पर जुर्माना वसूलने पर फोकस किया. नगर निगम अब तक 5 हजार से अधिक लोगों के इस तरह के चालान काट चुकी है.
पढ़ेंःस्पेशल: Tax वसूली का जिम्मा Private फर्म को, पहले साल 80 करोड़ और आगे असेसमेंट का 75 प्रतिशत टारगेट
नगर निगम के आयुक्त रोहिताश्व तोमर का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग की पालना को लेकर कई व्यापारिक प्रतिष्ठान सीज तक किए हैं. जो दुकानदार बिना मास्क काम कर रहे हैं उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की गई है, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर थूंकने को लेकर अभियान चलाकर कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं, सीएमएचओ डॉ. बलवंत मंडा का कहना है कि लोगों को स्वच्छता बनाए रखने के लिए थूकने से बचना चाहिए. 'अनलॉक' के बाद लोगों की आवाजाही बढ़ी है.
यह था सरकार का प्रावधान... सार्वजनिक स्थान पर थूकने वाले पर आईपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है. राज्य सरकार के आदेश में कहा गया था कि पान, तंबाकू और गुटखा जैसे उत्पाद का सेवन करने के बाद सार्वजनिक स्थान पर थूक दिया जाता है. इससे कोरोना फैलने की संभावना रहती है. ऐसा करने वालों के विरुद्ध आपदा प्रबंधन एक्ट और राजस्थान एपेडेमिक एक्ट की धारा 3 में कार्रवाई का प्रावधान किया गया.
क्यों है खतरा...
कोरोना वायरस की मौजूदगी गले और नाक में होती है. यही कारण है कि किसी भी व्यक्ति का नमूना भी गले और नाक के ल्वाब से लिया जाता है. ऐसे में सार्वजनिक स्थानों पर लोगों का थूकना बिमारी बढ़ाने में सहयोग कर सकता है. थूक में कई जर्म होते हैं जो 24 घंटे से अधिक समय तक जीवित रहते हैं.