लूणी (जोधपुर).लूणी में गोगा नवमी सादगी के साथ मनाई गई. इस बार कोरोना वायरस के चलते गोगा नवमी पर मेला नहीं भरा. वीर गोगा देव जी महाराज का जन्म उत्सव गोगा नवमी के रूप में परंपरागत श्रद्धा भक्ति और उत्साह उमंग के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता है. इस दिन नागों की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि गोगा देव की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है.
इस दिन सांपों की पूजा की जाती है भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगा नवमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. लूणी की ग्राम पंचायत डोली में हर वर्ष गोगाजी का मेला भरता है. मेले में हजारों की तादाद में श्रद्धालु शामिल होते हैं और गोगाजी के दर्शन करते हैं. इस बार कोरोना संक्रमण के चलते सरकार ने सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा रखी है. जिसके बाद सरकार की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए गोगाजी की नवमी सादगी से मनाई गई. मेले में भोपा समुदाय के लोग लोहे की बेलों से शरीर पर वार करते हैं.
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मेला कमेटी अध्यक्ष शेराराम पटेल ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस बार भी गोगा नवमी मनाई गई. साथ ही दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के कार्यक्रम में शामिल होने पर रोक थी. उन्होंने बताया कि मेले में 36 कौम के लोग गोगाजी के दर्शन करने आते हैं. इस बार कम भीड़ को देखते हुए गोगाजी का मेला नहीं भरा, लेकिन हर वर्ष की तरह कुछ दुकानें लगी हुई थी.
कौन थे गोगाजी?
वहीं, अपने आराध्य देव वीर गोगा देव जी महाराज का जन्म उत्सव गोगा नवमी के रूप में परंपरागत श्रद्धा भक्ति और उत्साह उमंग के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता है. गोगा नवमी का त्योहार मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में भी मनाया जाता है. गोगा नवमी को गुग्गा नवमी भी कहा जाता है. इस दिन नागों की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि गोगा देव की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है. गोगादेव की पूजा पूर्णिमा से आरंभ हो जाती है और 9 दिनों तक चलती है. नौंवे दिन गोगाजी की पूजा की जाती है. गोगाजी राजस्थान के लोक देवता हैं. जिन्हें जाहर वीर गोगा राणा के नाम से भी जाना जाता है.