लूणी (जोधपुर).लूणी स्थित नवकार धाम के संस्थापक वमसा लाभ रुचि के सानिध्य में खाद्य सामग्री वितरित की गई. उन्होंने कहा कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थ कर भगवान ऋषभदेव ने एक साल तक घोर तपस्या की.
इस दौरान उन्होंने अन्न पूर्णत त्याग कर दिया. एक साल के पश्चात भगवान ने गन्ने के रस से ऋषभदेव का व्रत खुलवाया. ढाई हजार साल पुरानी इसी मान्यता के आधार पर आज भी जैन वक्त एक दिन उपवास व एक दिन भोजन का भी विधान रखते हुए 365 दिन का अनुष्ठान करते हैं. इसमें सूर्यास्त के बाद भोजन और पानी ग्रहण करना वर्जित है.