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अपनों ने ठुकराया तो नवजीवन के आंगन में 'लाडो' को मिला प्यार, अब 5 बेटियां दुल्हन बन संवारेंगी अपना घर

जोधपुर में 1 दिसंबर को नवजीवन संस्थान में रह रहीं 5 अनाथ बेटियां दुल्हन बनकर विदा होंगी. सोमवार को हल्दी-मेहंदी, बुधवार को संगीत के बाद शुक्रवार को शादी की रस्में होंगी. इस संस्थान के संचालक राजेंद्र परिहार अब तक 20 बेटियों के पिता का फर्ज निभा चुके हैं. पढ़िए ये रिपोर्ट...

Daughters of Navjeewan Sansthan
Daughters of Navjeewan Sansthan

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 28, 2023, 7:44 PM IST

5 अनाथ बेटियां दुल्हन बनकर विदा होंगी

जोधपुर.नवजीवन संस्थान से 1 दिसंबर को 5 बेटियों को खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देकर विदा किया जाएगा. ये सभी इसी संस्थान में पली-बढ़ी हैं, जिन्हें उनके परिजनों ने जन्म के साथ ही त्याग दिया था. संस्थान के संचालक राजेंद्र परिहार अब तक संस्थान में निवासरत ऐसी ही 20 बेटियों की शादी करवा चुके हैं, जिसमें वो पिता का फर्ज निभाकर कन्यादान भी करते हैं.

पांचों दुल्हन पीले कपड़ों में शादी के रस्मों के लिए सजी हैं. 27 नवंबर को हल्दी मेहंदी के बाद 29 नवंबर को महिला संगीत और 1 दिसंबर को विवाह संपन्न होगा. संस्थान संचालक राजेंद्र परिहार ने कहा कि इन बेटियों को उनके परिजन बचपन में ही छोड़ कर चले गए थे, जिसके बाद इसी संस्थान में उनका पालन-पोषण हुआ. अब अंजू, रानी, अंकिता, रानू और आरती की शादी करवाने जा रहे हैं. पांच में से चार बेटियों की बारात जोधपुर से आएगी जबकि एक की सांचौर से आएगी. चार दूल्हे माहेश्वरी परिवार से हैं जो व्यवसाय से जुड़े हैं. इनमें से एक बेटी का कन्यादान वे खुद करेंगे, जबकि 4 का कन्यादान पूर्व अधिकारी और उद्योगपति करेंगे. इनमें एक ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया है, दो ब्यूटिशन हैं, एक ग्रेजुएट और एक मूक बधिर है.

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मूक बधिर के लिए मूक बधिर ढूंढा :परिहार बताते हैं कि पांच बेटियों में से अंकिता मूक बधिर है. उसका विवाह मूक बधिर से हो रहा है, जिसने स्पेशल बीएड कर रखा है और टीचिंग करता है. अंकिता भी अपने नए घर को लेकर काफी खुश है. वह इशारों में अपनी खुशी जाहिर करती है. इसी तरह से अंजू और रानी ने बताया कि वे काफी खुश हैं. संस्थान में बहुत प्यार मिला. अब अपनी पसंद से नया घर मिल रहा है. परिहार ने बताया कि इससे पहले वे 20 बेटियों की शादी कर चुके हैं.

1989 से चल रहा है सिलसिला :परिहर बताते हैं कि 1989 में लवकुश गृह की स्थापना हुई थी. तब से ये लावारिस और अनाथ नवजातों का ठिकाना बन गया. यहां एक पालना लगा हुआ है, जिसमें लोग बच्चे रखकर चले जाते हैं. जब कोई बच्चा यहां आता है कि तो इस बात को लेकर खुशी होती है कि उसे यहां अच्छे जीवन के लिए छोड़ा गया है. संस्थान के कर्मचारी उस बच्चे को अपनत्व देते हैं. उन्हें कभी अनाथ होने का अहसास नहीं होने देते. वर्तमान में यहां 48 बच्चे रह रहे हैं. संस्थान में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाता है. बच्चियों को स्वावलंबी बनाने के लिए कोर्सेज करवाए जाते हैं.

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39 बच्चे विदेशी दंपती ले गए :उन्होंने बताया किलवकुश गृह के अंतर्गत संचालित होने वाले नवजीवन संस्थान से अब तक कारा (केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण) के मार्फत 39 विदेशी दंपती भी यहां से भारतीय बच्चों को गोद ले चुके हैं, जो आज बेहतर जीवन जी रहे हैं. 1500 से ज्यादा बच्चे भारत में यहां से गोद लिए जा चुके हैं. देश में अब अनाथ बच्चे को गोद लेने के लिए कारा में ही आवेदन करना होता है. पूरी प्रक्रिया के लिए नियम बने हुए हैं. कारा के पास हमेशा आवेदन लंबित रहते हैं.

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