जोधपुर. प्रदेश में आपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या के पीछे सरकार का तर्क होता है कि थानों में आने वाले हर व्यक्ति की एफआईआर दर्ज होती है. इसलिए आंकडे़ बढ़ रहे हैं. लेकिन दूसरी और मुख्यमंत्री के गृहनगर में ऐसे हालात हैं कि न्यायालय के आदेश पर भी पुलिस ने 17 माह तक मामला दर्ज नहीं किया. जब प्रकरण उपरी अदालतों में पहुंचा और कार्रवाई होती, जहां से कोई कार्रवाई हो उससे पहले आनन-फानन में मामला दर्ज कर लिया गया. यह प्रकरण बहुचर्चित लवली कंडारा एकाउंटर का है.
13 अक्टूबर, 2021 को जोधपुर की रातानाडा थाना पुलिस ने बनाडा रोड पर लवली कंडारा का एकाउंटर किया था. कंडारा के परिजनों ने एससी- एसटी कोर्ट में इस्तागासा दायर कर आरोप लगाया था कि एनकाउंटर पूरी तरह से फर्जी था. पुलिस ने जानबूझ कर उसकी हत्या की है. जिस पर 2 दिसंबर को कोर्ट ने तत्कालीन थानेदार लीलाराम के अलावा पुलिसकर्मी जितेंद्र सिंह, किशनसिंह, विश्वास व अंकित के विरुद्ध एससी के विरुद्ध नृशंसता निवारण अधिनियम के अलावा षडयंत्र कर हत्या करना, साक्ष्य समाप्त करना की धाराओं में मामला दर्ज करने का आदेश पारित किया. लेकिन रातानाडा पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया. एफआईआर दर्ज होने के बाद भी पुलिस का कोई अधिकारी इस मामले पर बोलने को तैयार नहीं है.
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