आचार संहिता के चलते इस बार 'श्रीराम' और गजसिंह ने छोड़ा तीर. जोधपुर.रावण का चबूतरा मैदान पर मंगलवार शाम को दशानन के पुतले धू-धूकर जल उठे. श्रीराम का रूप धरे बालक और पूर्व महाराजा गजसिंह ने अग्नितीर चलाया, जो रावण की नाभी में लगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस दौरान वहां मौजूद रहे, लेकिन आचार संहिता की सीमाओं के चलते वे तीर नहीं चला सके.
मंगलवार शाम को रावण का चबूतरा मैदान पर भगवान राम की सवारी पहुंची. यहां गजसिंह और उसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनकी पूजा की. इसके बाद गहलोत वहां से वापस दर्शक दीर्घा की ओर रवाना हो गए, लेकिन गजसिंह के बुलावे पर वे वापस आए और उनके पास खड़े हो गए. मंत्रोचार के बाद तीर चलाने की परंपरा का निर्वहन किया गया. रावण की नाभी में तीर लगते ही रावण के सिर से पटाखे फूटने लगे. बाद में धीरे-धीरे पुतले ने आग पकड़ी. इसके बाद रावण का चबूतरा मैदान पर भव्य आतिशबाजी की गई. भीतरी शहर से मंगलवार सुबह 11 बजे राम शोभायात्रा रवाना हुई थी. शोभायात्रा के आगे अखाड़ों के कार्यकर्ता हैरतअंगेज प्रदर्शन कर रहे थे. रावण का चबूतरा मैदान पर भी उन्होंने कई प्रदर्शन दिखाए.
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सूर्यकांता से मिले गहलोत :उत्सव में सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास भी पहुंचीं थीं, जो पहली पंक्ति में बैठीं थीं. जब सीएम अशोक गहलोत पहुंचे तो वे जीजी के पास रुके और उनसे कुछ देर बातें की. इसके बाद वे अपनी जगह पर बैठ गए. जब गहलोत वापस निकले उस समय भी उन्होंने जीजी का अभिवादन किया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को जोधपुर से ही झूंझनू जाएंगे. रात्रि विश्राम उनका जोधपुर में ही है.
डीग में भगवान राम ने रावण का किया अंत :डीग जिले में विजयदशमी पर शहर में भगवान श्रीराम की शाेभायात्रा निकाली गई. ऐतिहासिक लक्ष्मण मंदिर से रवाना हुई इस शोभायात्रा में भगवान श्रीराम की सेना जयघोष लगाते हुए चल रही थी. शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए शोभायात्रा डीग के मेला मैदान पहुंची. इसके बाद राम-रावण युद्ध का मंचन हुआ. अंत में भगवान श्री राम ने अग्नि बाण रावण की नाभि में चलाया, जिसके बाद रावण का अंत हुआ.