जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए बालिग लड़की को उसकी मर्जी के मुताबिक प्रेमी के साथ जाने के आदेश दिए हैं. बालिग युवती ने अपने साथी अरमान के साथ रहने की इच्छा जाहिर की. जिस पर कोर्ट ने युवती को पूरी सुरक्षा के साथ अरमान के साथ भेजने का आदेश दिया.
हालांकि युवती का विवाह अरमान से नहीं हुआ है. लेकिन युवती का कहना है कि वह जितने समय उसके साथ रही है, उसने उसे खुश रखा है. इसलिए उसके साथ ही जाना चाहेगी. इस पर याचिकाकर्ता युवती की मां ने कहा कि एक बार घर आजा, फिर वह चाहेगी जहां उसका विवाह करवा देंगे.
युवती की न्याय की गुहार पर कोर्ट ने सुनाया फैसला इस पर युवती ने कहा कि एक बार वह मां के साथ घर चली गई तो उसकी जान को जोखिम हो सकता है. साथ ही समाज की शांति भंग होने का भी खतरा है, क्योंकि उसकी मां ने कोर्ट के बाहर कई लोगों को इकठ्ठा किया हुआ है.
इन बयानों के बाद जस्टिस संदीप मेहता व जस्टिस अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने एएजी फरजंद अली से युवती को उसकी इच्छा अनुसार युवक अरमान के साथ उसके घर माउंट आबू तक सुरक्षित पहुंचाने के निर्देश दिए. साथ ही याचिकाकर्ता की मां की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण भी कर दिया.
एलओसी पर दस्तयाब हुई थी युवती-
करीब तीन माह पहले युवती की मां ने रातानाडा थाने में अपनी पुत्री के लापता होने का मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन पुत्री के नहीं मिलने पर राजस्थान हाईकोर्ट में अधिवक्ता महावीर विश्नोई के जरिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी. रातानाडा पुलिस ने युवती को जम्मू-कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल बॉर्डर से चार किलोमीटर पहले युवती को दस्तयाब कर लिया और कोर्ट के समक्ष पेश किया था. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उसे नारी निकेतन भेज दिया था.