जोधपुर.तापमान में गिरावट आने के साथ ही स्वाइन फ्लू का वायरस सक्रिय होने लगता है. जिसको लेकर चिकित्सा विभाग समय-समय पर बैठकें भी कर रहा है. साथ ही सभी अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा में स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सभी दवाइयों को पर्याप्त मात्रा में रखने के निर्देश दिए है. स्वाइन फ्लू से बचने को लेकर कुछ लोग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का भी सहारा लेते हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से कई लोगों को स्वाइन फ्लू के वायरस से राहत भी मिली है. जोधपुर राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. उषा अग्रवाल ने बताया कि गत वर्ष आयुर्वेदिक चिकित्सालय में लगभग 200 से 300 स्वाइन फ्लू से ग्रसित मरीज आए थे, जिन्हें आयुर्वेदिक दवाइयां दी गयी और उन्हें काफी राहत भी मिली थी.
स्वाइन फ्लू का प्रकोप अधिक होने के चलते आयुर्वेदिक चिकित्सालय द्वारा आम जनता को काढ़ा पिलाया गया जिससे कि उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और स्वाइन फ्लू का वायरस उनके शरीर पर हावी ना हो. काढ़ा पिलाने से कई लोगों को स्वाइन फ्लू से राहत भी मिली. साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सालय द्वारा आयुर्वेदिक दवाओं को भी वितरित किया गया. आइए आपको बताते है स्वाइन फ्लू से बचने के लिए कैसे बनता है काढ़ा.
काढ़ा बनाने के लिए मुलैठी, मुन्नका अंजीर, सौफ,धनिया,हल्दी, तुलसी के पत्ते, सौंठ,कालीमिर्च, लौंग, गिनोय,त्रिफला, आंवला को लेकर उसे पानी मे डाले और फिर उस पानी को लगभग 30 मिनिट तक उबाले. उबलने के बाद पानी को छलनी से छानकर पीये. काढ़ा पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफी बढ़ोतरी होती है जिसके कारण स्वाइन फ्लू का वायरस शरीर पर हावी नहीं हो पाता स्वाइन फ्लू से बचने के लिए आम जनता को प्रतिदिन एक ग्लास काढ़ा का पानी पीना चाहिए. जिससे कि उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता धरती रहे और वे एकदम स्वस्थ रहे.