जोधपुर. सूर्यनगरी को गौरवान्वित होने का एक खूबसूरत मौका आज मिल रहा है. मरुभूमि के वीर एवीएम चंदन सिंह की मूर्ति का अनवारण होगा. चंदन सिंह उन चुनिंदा वायु योद्धाओं में से हैं जिन्हे शौर्य एवं पराक्रम के लिए अति विशिष्ट सेवा मेडल, 1962 में वीर चक्र और 1971 में महावीर चक्र से नवाजा गया था. उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध, भारत- चीन युद्ध , भारत- पाक युद्ध में अपना शौर्य दिखाया था (AVM Chandan Singh Statue in Jodhpur ).
विरासत में मिली जाबांजी-पाली जिले के बागावास निवासी एवीएम चंदन सिंह का जन्म 3 दिसंबर 1925 को हुआ था. इनके पिता कर्नल बहादुर सिंह जोधपुर लांसर्स में थे. हाईफा युद्ध (1918) में एक आंख में गोली लगने के बाद भी लड़ते रहे थे. चंदन सिंह की शिक्षा गुरुकुल आश्रम रतनगढ़ , सेंट्रल हिंदू स्कूल वाराणसी और चौपासनी स्कूल जोधपुर में हुई. 18 वर्ष की उम्र में जोधपुर लांसर्स में भर्ती हुए और 1945 में ईरान , ईराक , लेबनान, इजिप्ट और इजरायल में द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया.
1947 में महाराजा उम्मेद सिंह के कहने पर एयरफोर्स में ट्रांसफर करा लिया और एक साहसी फाइटर पायलट के रूप में प्रसिद्ध हुए. 1947 - 48 में भारत-पाक युद्ध में विमान क्षति ग्रस्त होने पर लगभग 1 साल हॉस्पिटल में भर्ती रहे थे.