जोधपुर. जोधपुर के केंद्रीय कारागृह में प्राकृतिक जीवन तक आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आसाराम को भविष्य में जमानत या पैरोल मिलना ओर कठीन हो गया है. पहले ही इसके लिए वह हर तरह के प्रयासरत हैं. लेकिन अब मंगलवार को एक बलात्कार के मामले में गुजरात के गांधीनगर की जिला अदालत ने भी आजीवन करावास की सजा सुनाने से उसकी उम्मीदों को झटका लगा है.
जोधपुर जेल में बंद आसाराम अब दोनों सजा भुगतेगा. दोनों सजा साथ-साथ चलेंगी, इसके लिए उसे उच्चतम न्यायालय जाना होगा. क्योंकि दोनों मामले अलग-अलग राज्य के हैं. इस सजा के खिलाफ भी गुजरात हाईकोर्ट में अपील करनी होगी. राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता देवकीनंदन व्यास के अनुसार एक ही तरह के दो मामलों में सजा मिलने से आसाराम को भविष्य में जमानत मिलने में भी परेशानी होगी.
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गांधीनगर में आसाराम की एक पूर्व शिष्या जो उसके मोटेरा आश्रम में वर्ष 2001 से 2006 के बीच रही थी. उसने अपने साथ कई बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था. यह मामला भी 2013 में दर्ज हुआ था. जिसकी लंबी सुनवाई के बाद यह फैसला आया है. इस मामले में आसाराम की पत्नी सहित अन्य 6 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है. जोधपुर जिले के माथानिया स्थित आसाराम के मणाई आश्रम में 14 व 15 अगस्त, 2013 की रात को अपने एक शिष्य की नाबालिग बेटी के साथ यौन दुराचार करने का आरोप लगा था. यह मामला पीड़िता ने दिल्ली में दर्ज करवाया था. जो बाद में जोधपुर शिफ्ट हुआ था.
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जोधपुर पुलिस ने मामले की पड़ताल कर आसाराम को अक्टूबर में इंदौर से गिरफ्तार कर जोधपुर लाई थी. उसके बाद से आसाराम जोधपुर जेल में ही है. शुरूआती बरसों तक मामले की सुनवाई के चलते उसे हर दिन कोर्ट लाया जाता था. लंबी सुनवाई के बाद 25 अप्रैल, 2018 को न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने होईकोर्ट के निर्देश पर जोधपुर जेल में आसाराम के खिलाफ फैसला सुनाया था. जिसमें उसे प्राकृतिक जीवन तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. आसाराम के साथ उसकी शिष्या शरद व शिल्पी को भी सजा दी गई थी. हालांकि इन दोनों को जमानत भी मिल गई.