जोधपुर.वकालत के पेशे को समर्पित देश के सबसे अनुभवी अधिवक्ता लेखराज मेहता के निधन के साथ ही राजस्थान के विधिक क्षेत्र में एक युग का अवसान हो गया. 76 वर्ष के पेशेवर अनुभव के धनी देश के सबसे अनुभवी अधिवक्ता मेहता का बुधवार (2 अगस्त 2023) देर रात को जोधपुर में निधन हो गया. करीब 102 वर्षीय मेहता वर्ष 1947 से राजस्थान हाईकोर्ट में वकालत कर रहे थे। उनके निधन पर विधि क्षेत्र के अनेक लोगों ने शोक व्यक्त किया है। मेहता के निधन की जानकारी मिलने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह सहित सभी न्यायाधीशगण उनको श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए जोधपुर के घंटाघर स्थिति लाम्बिया हाउस पहुचे और स्वर्गीय मेहता की पार्थिव देह पर श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धाजंली दी.
राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन जोधपुर के अध्यक्ष रणजीत जोशी एवं राजस्थान हाईकोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन जोधपुर के अध्यक्ष रवि भंसाली के साथ बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य जगमालसिंह चौधरी, डॉ सचिन आचार्य सहित कई सदस्यों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए. वहीx राजस्थान हाईकोर्ट में लंच के बाद अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य न करते हुए उनको श्रद्धाजंली दी. स्वर्गीय मेहता की पार्थिव देह पर विधि क्षेत्र के अलावा, राजनैतिक, सामाजिक, समाज के गणमान्य लोगों ने भी श्रद्धाजंली अर्पित की. स्वर्गीय मेहता की अंतिम इच्छा थी कि उनके शरीर को दान किया जाए. इसलिए दोपहर करीब दो बजे के बाद उनके पार्थिव देह को घर से लेकर रवाना होकर परिजन एम्स अस्पताल पहुंचे. जहां एम्स प्रशासन को स्वर्गीय मेहता का देह दान किया गया.
स्वर्गीय मेहता थे विधि के युग पुरुष :जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में वर्ष 1947 में पहली बार कानून की पढ़ाई शुरू हुई तो मेहता ने उस पहले बैच से लेकर 1981 तक 34 वर्षों तक अस्थाई शिक्षक के रूप में विधि विद्यार्थियों को पढ़ाया. मेहता राजस्थान में सबसे पहले विधि स्नातकोत्तर (एलएलएम) करने वाले शख्स थे. जिस दिन से देश का संविधान लागू हुआ, उस दिन से आप विधि विद्यार्थियों को संविधान पढ़ा रहे थे. वकालत के प्रति इतना जुनून और समर्पण कि कई बार जज बनने का ऑफर नामंजूर कर दिया. इसलिए विधि के क्षेत्र में आज भी इनका नाम बेहद सम्मान और आदर के साथ लिया जाता है.
पढ़ें सलमान खान और आसाराम के अधिवक्ता महेश बोड़ा का निधन, देह मेडिकल कॉलेज को दान
जीवन परिचय :स्वर्गीय गजराज मेहता के पुत्र लेखराज मेहता का जन्म 4 जून, 1921 को जालोर में हुआ था. वह मूल रूप से राजस्थान के पाली जिले में स्थित गांव लांबिया के रहने वाले हैं. उनके पिता 18वीं सदी के अंत में जोधपुर चले आये और जोधपुर राज्य में राजस्व दरोगा के पद पर कार्यरत थे. उन्होंने ज्योतिषीय रूप से बहुत पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि उनका बेटा कानून के क्षेत्र में ऊंचाइयां हासिल करेगा और पढ़ाई के प्रति उसकी लगन को देखते हुए उन्होंने उसे उच्च शिक्षा के लिए जोधपुर से बाहर भेज दिया. लेख राज मेहता ने 1942 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की, जहां उन्हें महात्मा गांधी, पंडित मदन मोहन मालवीय, शंकर दयाल शर्मा से मिलने का मौका मिला और वे उनसे काफी प्रेरित हुए. इसके बाद 1945 में वे मास्टर्स की पढ़ाई के लिए लखनऊ चले गए और राजस्थान में लॉ के पहले मास्टर्स बने. उन्होंने आजादी से पहले एक वकील के रूप में अभ्यास करना शुरू कर दिया था और 35 वर्षों तक अंशकालिक व्याख्याता के रूप में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में भी शामिल हुए.
उनके कानून के कई छात्र सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीश, राजनेता और आईएएस बने. कुछ नाम हैं, सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश दलवीर भंडारी, न्यायाधीश अशोक माथुर, एलएम सिंघवी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनके छात्र रहे हैं. वर्ष 1949 में जब राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना हुई थी. तब उन्होंने समारोह में भाग लिया था. वह कानूनी विद्वान, शिक्षाविद्, प्रखर पाठक और एक महान वक्ता हैं. उनके पास कानून में 80 से अधिक वर्षों का काफी समृद्ध अनुभव है और कोविड से ठीक पहले वह अदालती कार्यवाही में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे थे. महामारी के दिनों में भी वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए थे.
कई ऐतिहासिक निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वह विभिन्न कंपनियों, संस्थानों, सरकारी विभागों, राजनेताओं, धार्मिक ट्रस्टों और पूर्व शासकों आदि के लिए उपस्थित हुए हैं. उन्होंने समाज के लिए बहुत सारे नि:शुल्क कार्य किए हैं. वह अन्य सभी धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हुए जैन धर्म का उत्सुकता से पालन और अभ्यास करते हैं. वह पिछले 60 वर्षों से लगातार अपने दिन की शुरुआत मंदिर जाकर और पूजा करके करते हैं. 102 वर्ष की अधिक आयु में भी वह एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हैं और अत्यधिक आध्यात्मिक हैं, सख्त शाकाहारी भोजन का पालन करते हैं और क्रिकेट और फुटबॉल देखना पसंद करते हैं. उन्होंने देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों में कानून और धर्म के विषयों पर कई व्याख्यान दिए हैं. उन्हें कई पुरस्कारों और प्रशंसाओं से सम्मानित किया गया है. जैसे, जोधपुर शाही परिवार द्वारा "हाथी सरोपाव" के रूप में जाना जाने वाला सर्वोच्च सम्मान, राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा सम्मानित किया गया है, जोधपुर प्रशासन द्वारा नागरिक सम्मान पुरस्कार और टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा प्राइड ऑफ मारवाड़ से सम्मानित किया गया है.