भोपालगढ़ (जोधपुर).कोरोना महामारी ने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है. लॉकडाउन में उद्योग धंधे चौपट हो गए हैं. वहीं सरकार द्वारा कड़ाई से नियमों की पालना से कैटरिंग इंडस्ट्री और एजुकेशन इंडस्ट्री पूर्ण रूप से बर्बाद हो गए हैं. बर्बाद हुई इंडस्ट्री से उबरने और आजीविका चलाने के लिए अब लोग खेती किसानी की तरफ बढ़ने लगे हैं.
भोपालगढ़ विधानसभा क्षेत्र के साथीन ग्राम में 35 सालों बाद प्रवासी खेती किसानी की तरफ लौटे हैं. महाराष्ट्र में कैटरिंग का व्यवसाय करने वाले 57 वर्षीय रामकिशन सिंडोलिया पिछले 40 सालों से महाराष्ट्र में कैटरिंग का व्यवसाय करते हैं. मार्च में होली पर गाव आए फिर पूरे देश मे लॉकडाउन लग गया. मार्च से लेकर जुलाई तक पांच महीनों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण कैटरिंग इंडस्ट्री बंद पड़ी है. दीपावली तक छूट मिलने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. जिसके चलते सिंडोलिया परिवार की चार पीढ़ियां खेती किसानी की तरफ 35 सालों बाद पुनः लौटे हैं.
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स्कूल बंद रहने के चलते बच्चे भी बड़ो के साथ खेती करना सीख रहे हैं. 79 वर्षीय परदादा रामगोपाल के साथ 6 वर्षीय पोता ऋषभ ने पहली बार खेतीबाड़ी देखी है पुत्र गिरधारी भारद्वाज ने बताया कि वो पहली बार खेती की है. रामकिसन सिन्डोलिया ने बताया कि इस बार 25 बीघा में मूंग, बाजरी और तिल्ली की फसल बोई है.
दीपावली तक धंधे शुरू नहीं होने के चलते इस बार खेती-बाड़ी से ही पूरी आस लगाकर बैठे हैं. वही पूरा परिवार एक साथ खेतों में बड़े उत्साह के साथ काम कर रहा है. आज से 35 साल पहले संयुक्त परिवार खेती करते थे. वहीं आज 35 सालों बाद कोरोना के चलते पूरा परिवार एक साथ काम कर रहे हैं. आज एकल परिवार के युग में पूरे परिवार को एक साथ काम करते देखकर आनन्द की अनुभूति होती है.