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कोरोना कालः खेती की तरफ लौट रहे प्रवासी, एक साथ चार-चार पीढ़ियां खेत में कर रहीं काम - भोपालगढ़ किसान न्यूज

भोपालगढ़ विधानसभा क्षेत्र के साथीन ग्राम में 35 सालों बाद प्रवासी खेती किसानी की तरफ लौटे हैं. महाराष्ट्र में कैटरिंग का व्यवसाय करने वाले 57 वर्षीय रामकिशन सिंडोलिया पिछले 40 सालों से महाराष्ट्र में कैटरिंग का व्यवसाय करते हैं. अब कोरोना के कारण उनका व्यवसाय बंद हो गया है, तो वे पूरे परिवार के साथ खेती करने में लग गए हैं.

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भोपालगढ़ में एक परिवार 35 साल बाद लौटें खेती की ओर

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Published : Jul 27, 2020, 1:10 PM IST

भोपालगढ़ (जोधपुर).कोरोना महामारी ने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है. लॉकडाउन में उद्योग धंधे चौपट हो गए हैं. वहीं सरकार द्वारा कड़ाई से नियमों की पालना से कैटरिंग इंडस्ट्री और एजुकेशन इंडस्ट्री पूर्ण रूप से बर्बाद हो गए हैं. बर्बाद हुई इंडस्ट्री से उबरने और आजीविका चलाने के लिए अब लोग खेती किसानी की तरफ बढ़ने लगे हैं.

भोपालगढ़ में टिड्डी के बच्चे से किसानों में हड़कंप

भोपालगढ़ विधानसभा क्षेत्र के साथीन ग्राम में 35 सालों बाद प्रवासी खेती किसानी की तरफ लौटे हैं. महाराष्ट्र में कैटरिंग का व्यवसाय करने वाले 57 वर्षीय रामकिशन सिंडोलिया पिछले 40 सालों से महाराष्ट्र में कैटरिंग का व्यवसाय करते हैं. मार्च में होली पर गाव आए फिर पूरे देश मे लॉकडाउन लग गया. मार्च से लेकर जुलाई तक पांच महीनों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण कैटरिंग इंडस्ट्री बंद पड़ी है. दीपावली तक छूट मिलने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. जिसके चलते सिंडोलिया परिवार की चार पीढ़ियां खेती किसानी की तरफ 35 सालों बाद पुनः लौटे हैं.

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स्कूल बंद रहने के चलते बच्चे भी बड़ो के साथ खेती करना सीख रहे हैं. 79 वर्षीय परदादा रामगोपाल के साथ 6 वर्षीय पोता ऋषभ ने पहली बार खेतीबाड़ी देखी है पुत्र गिरधारी भारद्वाज ने बताया कि वो पहली बार खेती की है. रामकिसन सिन्डोलिया ने बताया कि इस बार 25 बीघा में मूंग, बाजरी और तिल्ली की फसल बोई है.

दीपावली तक धंधे शुरू नहीं होने के चलते इस बार खेती-बाड़ी से ही पूरी आस लगाकर बैठे हैं. वही पूरा परिवार एक साथ खेतों में बड़े उत्साह के साथ काम कर रहा है. आज से 35 साल पहले संयुक्त परिवार खेती करते थे. वहीं आज 35 सालों बाद कोरोना के चलते पूरा परिवार एक साथ काम कर रहे हैं. आज एकल परिवार के युग में पूरे परिवार को एक साथ काम करते देखकर आनन्द की अनुभूति होती है.

राम किशन सिंडोलिया बताते हैं कि परिवार के सदस्य ने गर्मियों में घरों से बाहर ही नहीं निकले. कोरोना के चलते खेती किसानी की तरफ लोटे हैं. अब गुजराती पद्धति से खेती कर रहे हैं. सुबह 6 से 12 बजे तक और शाम को 4 से लेकर 7 बजे तक जब मौसम ठंडा रहता है. दोपहर को गर्मी में अभी घर लौट आते हैं. खेतों में पत्नी रामप्यारी देवी, पुत्र गोविन्द गिरधारी, सहदेव, बालीदेवी कार्य कर रहे हैं.

भोपालगढ़ में टिड्डी के बच्चे से किसानों में हड़कंप

भोपालगढ उपखंड क्षेत्र में किसानों पर कुदरत की मार रुकने का नाम नहीं ले रही है. आसमानी आफत टिड्डियों के हमले से इलाके का किसान अभी संभला ही नहीं था की, टिड्डियों के अंडे से उत्पन्न टिड्डी के बच्चे ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. सोमवार को भोपालगढ उपखंड के कई गांवो में निकले टिड्डी के बच्चों से किसान एक बार फिर सहम गया है.

बता दे कि पिछले 2 माह से लगातार टिड्डी दल का हमला भोपालगढ़ क्षेत्र में 10 से ज्यादा बार किसानों की फसलों को चौपट कर चुका था. सोमवार को भोपालगढ उपखंड के गोदावास, देवातड़ा, बुड़किया, झालामलिया आदि गांवों में अचानक से धरती पर फांका (टिड्डियों के बच्चे) निकल आए. लाखों की तादात में निकल रहा फांका देखकर किसानों के चेहरों पर दहशत हो गई. खेतों और जोहड़ों में फांका निकलने की सूचना पर किसानों ने कृषि विभाग और प्रसाशन को दी.

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निवर्तमान उप प्रधान रामरख ओसु ने कृषि विभाग के अधिकारियों को जानकारी दी थी. उसके बाद कृषि पर्यवेक्षक करण सिंह मौके पर पहुंचे और फांके के नुकसान के जायजे में लग गए हैं. ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष राजेश जाखड़ को भी जानकारी मिलने पर उन्होंने मौके पर जाकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देकर फांके पर नियंत्रण करने की बात कही है.

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