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11 पाक विस्थापितों की मौत के 33 माह बाद भी पुलिस नहीं ढूंढ़ पाई वजह

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Published : Apr 21, 2023, 12:46 PM IST

प्रदेश की पुलिस पौने तीन साल बाद भी 11 पाक विस्थापितों के मौत के कारणों का पता नहीं लगा पायी. लिहाजा पुलिस ने इस केस में एफआर लगा दी. जिसको अदालत ने स्वीकर भी कर लिया है.

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जोधपुर.11 पाक विस्थापितों की मौत का मामला की जांच कर रही पुलिस को 33 माह बाद भी मौत की वजह का पता नहीं चल पाया. इसलिए पुलिस ने कोर्ट में अपनी फाइनल रिपोर्ट लगा दी और अदालत ने इसे स्वीकार भी कर लिया है. पुलिस की जांच के अनुसार परिवार की एक बेटी नर्स थी. उसी ने सभी को जहरीला इंजेक्शन लगाकर मौत के घाट उतारा था.

अगस्त 2020 में जिले के देचू के :लोड़ता हरिदासोत गांव में पाक विस्थापित 11 हिंदुओं की मौत के मामले में पुलिस जांच बंद कर अंतिम रिपोर्ट यानी एफआर कोर्ट में पेश कर दी है. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. मामले की जांच जोधपुर ग्रामीण एएसपी सुनील पंवार ने की थी. हाल ही में एफआर (फाइनल रिपोर्ट) पेश हुई थी. करीब पौने तीन साल चली जांच के बाद भी पुलिस किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची. पूरे मामले की एक ही थ्योरी कायम रही की परिवार की एक बेटी जो नर्स थी. उसने परिवार के दस सदस्यों को जहरीला इंजेक्शन लगाया और उसके बाद खुद भी नींद की गोलियां खा ली थी. 9 अगस्त 2020 की सुबह खेत में बने आवास में सभी लोग मृत मिले थे. इस घटना को लेकर कई आरोप प्रत्यारोप भी लगे थे. परिवार का एकमात्र व्यक्ति केवल राम जीवित बचा था, क्योंकि वो खेत की रखवाली के लिए रात में बाहर चला गया था. उसका अपनी पत्नी से विवाद भी चल रहा था. जिसको लेकर मंडोर थाने में मुकदमा भी दर्ज किया गया था. घटना स्थल पर मिले सुसाइड नोट और वीडियो में पुलिस पर प्रताड़ित करने के आरोप लगाए गए थे.

सांगढ़ जिले से 2015 ने आया था परिवार :पाकिस्तान में सिंध के सांगढ़ जिले निवासी बुधाराम भील का परिवार साल 2015 में भारत आया था. बतौर कृषक लोड़ता हरिदासोत गांव में रहने लगे थे. घटना के बाद पता चला कि 8 अगस्त की रात को परिवार की बेटी प्रिया जो निजी अस्पताल में नर्स थी. उसी ने पहले सभी के खाने में नींद की गोलियां मिलाई थी. केवल राम ने खाना खाया था लेकिन वह रखवाली के लिए चला गया था. खेत मुंडेर पर ही उसे नींद आ गई थी. बाकी लोग घर में ही थे. उसके बाद प्रिया ने सभी के हाथ में जहरीला इंजेक्शन लगाया था. मौके पर इसके पुख्ता प्रमाण मिले थे. इस घटना में बुद्धाराम (75), पत्नी अंतरादेवी (70), पुत्र रवि (35), पुत्री लक्ष्मी (40), प्रिया उर्फ प्यारी (25) व सुमन (22), पौत्र दयाल (11), दानिश (10), पौत्री दीया (5), नवासा तैन (12) व नवासी मुकद्दस (17) की मौत हुई थी.

पढ़ें पाक विस्थापित परिवार के 11 लोगों की मौत का मामला, पुलिस जांच में जुटी

पाकिस्तान ने उठाया था मामला :पाकिस्तान से आए इस परिवार को भारत की नागरिकता नहीं मिली थी. ऐसे में सभी मृतक पाकिस्तानी नागरिक ही थे. इस घटना के बाद पाकिस्तान ने भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस मामले को उठाते हुए भारत को घेरने की भरपूर कोशिश की थी. आरोप लगाया था कि उसके नागरिकों की सुरक्षा नहीं की गई. जोधपुर में पाक विस्थापितों के लिए काम करने वाले हिंदू सिंह सोढ़ा ने राजस्थान पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए इसकी जांच सीबीआई से करवाने की मांग की थी. बता दें कि इस घटना के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी जोधपुर आकर केवलराम से मुलाकात की थी.

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