झुंझुनू. मनरेगा कार्यों पर श्रमिक नियोजन में मेट और ग्राम पंचायतों के कर्मचारियों द्वारा गड़बड़ी करने की शिकायतों के बाद जिला परिषद प्रशासन ने निगरानी व्यवस्था कड़ी कर दी है. अब पंचायत स्तर पर ही सतर्कता समितियां इसकी जांच कर सकेंगी. मनरेगा कार्यों के लिए ग्राम पंचायत कर्मचारियों द्वारा पंचायत समितियों से मस्टर रोल लेकर कार्यस्थल पर हाजिरी लेने और कार्यों के दैनिक माप के लिए प्रशिक्षित मेटों को दिया जाता है.
मनरेगा कार्यों की जांच ग्राम सतर्कता समिति करेगी जानकारी के अनुसार मेटों और ग्राम पंचायतों के कर्मचारियों द्वारा मस्टर रोल में कुछ घर बैठे लोगों की उपस्थिति दर्ज करने की बार-बार शिकायतें मिल रही हैं. राजस्थान संपर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज होने पर जांच के लिए अधिकतम 30 दिन की समय सीमा का फायदा उठाते हुए गड़बड़ी करने वाले कर्मचारी गड़बड़ी छुपाने के लिए अपना रिकार्ड दुरुस्त कर लेते हैं.
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कार्यस्थल पर ही कमेटी करेगी काम...
कार्यस्थल पर ही दैनिक हाजिरी की जांच करवाने के लिए जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट द्वारा प्रत्येक कार्य पर 5 श्रमिकों की कमेटी का गठन और पखवाड़े के दौरान मौके पर हाजिरी लेने के आदेश दिए हैं. अब मस्टर रोल को मेट और ग्राम पंचायत के सचिव या सहायक के अलावा मजदूरों की सतर्कता समिति द्वारा भी प्रमाणित किया जाना जरूरी होगा. इसके अलावा गांव का कोई भी व्यक्ति कार्यस्थल पर जाकर मस्टर रोल की जांच कर सकता है और मोबाइल से फोटो ले सकता है.
मेट को किया जाएगा ब्लैक लिस्ट...
सीईओ जाट द्वारा सभी ग्राम स्तरीय मनरेगा कर्मचारियों को सचेत किया गया है कि आकस्मिक जांच में प्रथम दृष्टया फर्जी हाजिरी का मामला सामने आने पर मेट को ब्लैक लिस्ट किया जाए. वहीं ग्राम पंचायत के कर्मचारियों पर प्रत्येक गलती के लिए 1000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा. इसके बाद भी लगातार गलती पाए जाने पर निलंबन की कार्रवाई प्रस्तावित है.