झुंझुनू. जिले के उदयपुरवाटी उपखंड की एक दुष्कर्म पीड़िता को आखिरकार लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद जीत मिली. दुष्कर्म पीड़िता ने अपने मजबूत संकल्प के चलते अपने साथ हुए दुराचार के मामले में दोनों आरोपियों को जेल पहुंचाकर ही दम लिया.
जानकारी के अनुसार अपने साथ हुई गैंगरेप की घटना के बाद जब न्याय के लिए उसने थाने में मामला दर्ज करवाने पहुंची तो पुलिस ने उसे टरका दिया. बाद में दबाब के चलते पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर लिया लेकिन 45 दिन में ही मामले को झूठा बताकर एफआर लगाकर मामले की फाइल बंद कर दी. लेकिन पीड़िता ने हार नहीं मानी और अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ लड़ी और जीत हासिल की. पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस रिमांड में भेज दिया है.
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट बना सहारा
गौरतलब है कि पीड़ित विवाहिता ने 2019 में अपने गांव के ही अनिल कुमार और संजय उर्फ संजू के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया था. उस समय मामले की जांच नवलगढ़ के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक रामचन्द्र मूंड को दी गई थी. उन्होंने मामले की जांच के बाद इसको झूठा बताते हुए इसमें एफआर लगा दी थी. दुष्कर्म के बाद विवाहिता के गर्भवती होने पर उसने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
मामले में एडवोकेट शालिनी श्योराण ने हाइकोर्ट से मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के तहत पीड़िता को गर्भपात करवाने की अनुमति देने का आग्रह किया था. कोर्ट के आदेश के बाद मेडिकल बोर्ड ने विवाहिता के गर्भ का परीक्षण कर गर्भपात किया था और भ्रूण को सुरक्षित रखा था. इसके बाद एसपी ने मामले को रिओपन करते हुए एएसपी वीरेन्द्र कुमार से मामले की दोबारा जांच करवाई. एएसपी ने डीएनए की रिपोर्ट आने के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.