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स्पेशल रिपोर्टः भामाशाह हो या आयुष्मान योजना...गरीब का मरना तो तब भी था...अब भी है

खेतड़ी के बागोर में तंगहाली से एक परिवार लाचार हो गया है. घर में गरीबी का आलम यह है कि खाना-पीना तक नसीब नहीं हो पाता है. ऐसे में घर के 3 सदस्य अपाहिज है, जिनका इलाज करवाना तो दूर उन्हें पूछने वाला भी कोई नहीं है.

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Published : Sep 21, 2019, 3:20 PM IST

Updated : Sep 21, 2019, 4:30 PM IST

खेतड़ी (झुंझुनू). एक तरफ जहां केंद्र और राज्य की सरकार गरीब परिवारों को सुविधा मुहैया कराने के दावे कर रही है. वहीं गरीब परिवारों को योजनाओं का लाभ भी मिलना नसीब नहीं हो रहा है. प्रधानमंत्री की आयुष्मान योजना और राज्य सरकार की महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना को लोगों के लिए मुफ्त उपचार का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. लेकिन सरकारी दावों की पोल जिले के खेड़ी उपखंड के बागोर गांव में खुल रही है. सुरेश कुमार के लिए केंद्र और राज्य की योजनाएं दिखावे के रूप में साबित हो रही है.

सुरेश की पत्नी को है पेट बढ़ने जैसी गंभीर बीमारी

दरअसल, यह मामला बागोर के सुरेश कुमार नायक के परिवार का है. जो पिछले दस साल से सरकारी सुविधा के बिना तंगहाली का जीवन यापन कर रहा है. पीड़ित सुरेश कुमार ने बताया कि दस साल पहले उसकी पत्नी सुनिता देवी के पेट में दर्द होने पर निजी अस्पताल जयपुर में ऑपरेशन करवाया गया था. इसके बाद उसके पेट में दोबारा से दर्द शुरू हो गया और पेट बढ़ने की समस्या आने लगी.

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लगातार बढ़ रहा है सुनिता के पेट का आकार

सुरेश कुमार की पत्नी सुनिता देवी को इस कदर बीमारी ने घेर रखा है कि उसके पेट का आकार लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस वजह से उसे चारपाई पर ही जीवन यापन करना पड़ रहा है. इसके अलावा सुरेश कुमार के पैर पर एक गांठ होने के कारण अब उसका चल-फिर पाना भी मुश्किल हो गया है. सुरेश के पैर में हुई गांठ ने धीर-धीरे नासुर का रूप ले लिया. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह अपनी पत्नी और अपने स्वयं का इलाज नहीं करवा पा रहा है.

खेतड़ी का ये परिवार हालातों से है मजबूर

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सुरेश कुमार ने बताया कि राज्य सरकार की योजनाओं और एक रुपए किलो मिलने वाले गेहूं के लिए वह सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा चुका है. लेकिन उसे योजनाओं का लाभ मिलने के बजाय उसे सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे है. परिवार की आर्थिक रूप से स्थित खराब होने के कारण उसके बेटे सुभाष ने सातवी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़कर मजदूरी कर रहा है. लेकिन इससे भी परिवार का पेट पालना संभव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में अब सुरेश का छोटा बेटा जो छठी कक्षा में पढ़ता था. वह भी अपनी पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो गया है. इतना ही नहीं सुरेश कुमार के भाई राकेश कुमार का एक बेटा भी विकलांग है, जिसकी भी आज तक विकलांग पेंशन नही बनने से वह भी इलाज के अभाव में दरकिनार हो गया है.

इस परिवार के मुखिया पति और पत्नि दोनों है अपाहिज

पीड़ित परिवार को दिया जाएगा सरकारी सुविधाओं का लाभ

खेतड़ी उपखंड अधिकारी शिवपाल सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि ऐसे पीड़ित परिपरिवारों को लाभांवितवार को सरकार की योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए. साथ ही कल ही कर्मचारियों को मौके पर यहां भेजकर उसकी रिपोर्ट मंगवाकर हर संभव मदद की जाएगी. उन्होनें बताया कि सरकार ने गरीब करने के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रखी है. जो लोग योजना की तहत पात्रता रखते हैं. लेकिन उसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. उन्हें चिन्हित कर जल्द ही सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलवाया जाएगा.

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अब देखना यह होगा कि सुरेश और उसका परिवार क्या अपने इन आर्थिक हालातों को अपनी किस्मत मानकर बैठे रहता हैं. या फिर जीवन और गरीबी की लड़ाई को अपने बुलंद हौसलों से हरा पाते हैं. साथ ही सरकार अपने किए वादों को कितना पूरा कर पाती है. ये तो वक्त ही बताएगा.

Last Updated : Sep 21, 2019, 4:30 PM IST

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