झुंझुनू.मैं गांधी पार्क, गांधी चौक या गांधी ग्राउंड हूं. लोग मुझे झुंझुनू शहर का हृदय स्थल कहते हैं. मैं पहले शहर का बाहरी कोना था, जगह खाली थी और यहां प्रधानमंत्रियों से लेकर वार्ड पार्षदों की सभाएं हुई है. शहर का विस्तार हुआ, सभाएं स्टेडियम में होने लगी और मैं सीमटता चला गया. आज गांधी पार्क के नाम पर धूल उड़ रही है, गांधी चौक के नाम पर जयंती पर कुछ लोग आते हैं. गांधी ग्राउंड के नाम पर टैक्सी गाड़ियां खड़ी दिखाई देती है. कभी नए आए कलेक्टर यहां पार्किंग बनाकर ऊपर पार्क विकसित करने की बात करते हैं, कभी कोई ऐतिहासिक स्वरूप को बनाए रखने की बात करता है.
झुंझुनू शहर का हृदय स्थल गांधी पार्क बदहाल, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
झुंझुनू शहर का दिल कहे जाने वाले पार्क यदि उजड़ जाए तो यह पूरे शहर के लिए ऑक्सीजन को बंद करने जैसा होता है. न्यू शहर में भी गांधी पार्क ऐसे ही उजड़ा हुआ है. जो पुराने शहर के मध्य में स्थित है.
गांधी पार्क, झुंझुनू
हर कोई करता है बात
मेरे सौंदर्यीकरण, मेरे ऊपर बने अतिक्रमण हटाने की बात नागरिक मंच, नेता सभी करते हैं, लेकिन सालों से मेरे ऊपर गंदगी पड़ी ही है. अतिक्रमण आगे ही आए हैं, वाहनों का काला धुआं तो खैर अब शहर का हृदय स्थल होने की वजह से पीना ही पड़ता है. लोग भी जिला प्रशासन को ज्ञापन दे देते हैं, देखता हूं कि कौन इसे अंजाम तक ले जाने की बात करेगा.
अब यह है जरूरतें
- गांधी पार्क का पुन: सौंदर्यीकरण किया जाए, अतिक्रमण हटे, जिसमें चारदीवारी की मरम्मत पूरे पार्क में लोन लगाया जाए.
- पार्क में बैठने की उचित व्यवस्था की जाए.
- मैदान को भी पार्क के साथ ही शामिल कर उसको विकसित किया जाए जिससे पार्क का आकार बढ़ सके.
- पार्क में शौचालय की उचित व्यवस्था और पीने के पानी की व्यवस्था करवाई जाए.
- पार्क की देखरेख के लिए एक गार्ड एवं पेड़ पौधों की रखवाली के लिए बागवान नियुक्त किया जाए जो कि वर्तमान नगर परिषद बोर्ड के गठन से पहले तक पार्क में कार्यरत था.
- पार्क में बच्चों के खेलने के लिए अलग से खेल जॉन विकसित किया जाए.
- पार्क में वॉकिंग ट्रैक बनाया जाए.