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सलमा बानोः सुगर लेवल 500, उम्र 61 साल...फिर भी कोरोना को दिया मात

राजकीय भगवानदास अस्पताल में पिछले 25 दिनों से भर्ती 61 वर्षीय सलमा बानो ने कोरोना को मात दी है. प्रथम श्रेणी की डायबिटिज मरीज होते हुए भी सलमा ने हिम्मत और अपने बुलंद हौंसले से कोरोना से जंग जीती है. सलमा का कहना है कि बीडीके अस्पताल के कोविड वार्ड में डॉक्टरों की ओर से बेहतर चिकित्सा सुविधा की वजह से ये संभव हो पाया.

सलमा बानो ने जीता कोरोना से जंग, Salma Bano defeating Corona
सलमा बानो ने जीता कोरोना से जंग

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Published : May 29, 2021, 10:33 PM IST

झुंझुनू. मुख्यालय के राजकीय भगवानदास अस्पताल में पिछले 25 दिनों से भर्ती शहर के वार्ड नंबर 34 की 61 वर्षीय सलमा बानो ने कोरोना को मात दी है. प्रथम श्रेणी की डायबिटिज मरीज होते हुए भी सलमा ने हिम्मत और अपने बुलंद हौंसले से कोरोना से जंग जीती है.

बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. वीडी बाजिया ने बताया कि सलमा बानो पिछले तीन मई को अस्पताल में बहुत ही गंभीर स्थिति में भर्ती हुई थीं. उस दौरान इनका ऑक्सीजन लेवल 30 से भी कम था, लेकिन सलमा के पुत्र साजिद भाटी ने अपनी माता पर लगातार मेहनत करते हुए सुगर की इंसुलिन के साथ-साथ निरंतर व्यायाम करवाते हुए चिकित्सकों की सलाह के अनुसार चिकित्सकीय परामर्श देते हुए कोविड की बिमारी से निजात दिलवाई.

कोविड में लगे चिकित्सकों और नर्सिकर्मियों को दी दुआएं

सलमा बानो को बीडीके अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. सलमा ने बताया कि बड़े भाई के निधन होने पर रतनगढ़ गई थी, उसके बाद शरीर में कमजोरी आनी शुरू हुई, रात को तेज बुखार आया, इसके बाद घर पर ही घरेलू और देशी नुस्खे काम में लिए, लेकिन तबीयत में कोई सुधार नहीं हो पाया. बेटा साजिद भाटी ने प्लस ऑक्सोमीटर से ऑक्सीजन लेवल चेक किया तो 25-36 तक आया. ऑक्सीजन कम होने और सुगर अधिक होने के कारण बीडीके अस्पताल में पूरी सूझबूझ से चिकित्सक से परामर्श लेकर एचआरसीटी करवाई, जिसमें सीटी स्कोर 20 आया, 80 प्रतिशत फेफड़े संक्रमित हो चुके थे, उस समय पूरे हौंसले के साथ चिकित्सकीय सलाह के अनुसार परामर्श लेकर बीडीके अस्पताल में भर्ती हुईं.

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सलमा का कहना है कि डायबिटिज की मरीज होते हुए भी बीडीके अस्पताल के कोविड वार्ड में डॉक्टरों की ओर से बेहतर चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ प्रतिदिन चिकित्सकों की ओर से व्यायाम और हिम्मत से इस बिमारी को मात देने की सीख दी जाती थी, जिससे हौंसला मिला और कोरोना से जंग जीती. सलमा ने अपनी बिमारी से जंग जीतने में अस्पताल में दी जा रही बेहतर चिकित्सा सुविधा और कोविड में ड्यूटी कर रहे सभी चिकित्सकों को हीरो बताते दुए उन्हें दुआओं से नवाजा.

बेटे की मेहनत और कड़ी सेवा लाई रंग

पीआरओ ऑफिस में कार्यरत साजिद भाटी ने अपनी माता को निरंतर व्यायाम और अच्छा खान-पान चिकित्सकीय सलाह अनुसार दिया, जिसका परिणाम उन्हें 25 दिनों बाद कोविड से रिकवर होकर मिला. साजिद ने बताया कि मां दुनिया की अजीमोशान दौलत है, इसके पैरों के नीचे जन्नत है, कोरोना होने पर मां को ठीक करने में पूरी जान झोंक दी थी. कोविड के वार्ड नंबर 2 में करीब 14 कोविड के मरीज भर्ती थे, जिनमें से केवल दो ही छुट्टी लेकर घर जा पाएं थे, जिनमें से एक माताजी थीं. रोजाना कोविड से जवान-जवान मौते हो रही थीं, लेकिन हिम्मत नहीं हारीं, हौंसला रखा कि माताजी को ठीक करकर घर लेकर जाना है. दिन रात खान-पान के साथ-साथ व्यायाम मेडिसिन समयानुसार देना और माताजी की प्रॉपर मॉनिटरिंग करता रहा, निरंतर ऑक्सीजन पर रखते हुए चिकित्सकों की सलाह अनुसार ऑक्सीजन लेवल मापता और लिखता रहता, शाम को डॉक्टर से काऊसिंलिंग करवाता उसी अनुरूप डॉक्टर सलाह देते.

मां के साथ-साथ बेटा दूसरे मरीजों की भी करता सेवा

कोविड वार्ड में सलमा का इलाज करवाते समय बेटा साजिद भाटी ने अन्य मरीजों को भी सेवा की. कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रही बीडीके अस्पताल की डॉ. अंजना माथुर ने बताया कि कोविड के वार्ड नंबर 2 में भर्ती सलमा के पुत्र साजिद भाटी नर्सिंग स्टाफ की सुगर मापने, इंसुलिन लगाने, बीपी मापने के साथ-साथ अन्य प्रकार की मदद करता रहता।.मरीजों को किसी भी प्रकार की दिक्कत होती तो साजिद डॉक्टर को सूचना देने और मरीजों को व्यायाम के साथ-साथ अनेक प्रकार की मदद भी करता रहता.

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कोविड वार्ड में सलमा का इलाज कर रहे बीडीके के सीनियर एमडी फिजिशियन और डायबिटिज रोग विशेषज्ञ डॉ. कैलाश राहड़ ने बताया कि सुगर अधिक होने के कारण हालत बड़ी नाजुक थी, ऑक्सीजन लेवल भी भर्ती के समय 30 से 40 के बीच ही थी, जिससे खतरा अधिक था, लेकिन सलमा के पुत्र साजिद भाटी को जिस तरह सलाह दी जाती उसी अनुरूप पूर्ण रूप से मानते हुए व्यायाम करवाने, लगातार सुगर को मापने और उसकी मॉनिटरिंग करने के साथ-साथ खाने पीने का पूरा परहेज किया, जिसके कारण सलमा रिकवर हो पाईं.

सुगर का लेवल 500 से अधिक फिर भी कोरोना से जीती जंग

सलमा बानो को प्रथम श्रेणी का ब्लड सुगर का लेवल 500 के पार था, लेकिन अपने हौंसलों को बुलंद करते हुए सलमा ने सुगर के साथ-साथ कोविड को भी मात दी. बीडीके अस्पताल के एमडी फिजिशयन डॉ. कपिल सिहाग ने बताया कि सलमा के भर्ती होते ही ऑक्सीजन लेवल मापा गया तो 30-40 और सुगर का लेवल भी 500 से अधिक था, इस गंभीर स्थिति में उन्हें उच्च कोटि का इलाज दिया गया, प्रतिदिन सुगर को कंट्रोल करने के लिए हर तीन घंटे में सुगर को मापा जाता और उसी अनुरूप उन्हें सुगर को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन दी जाती. सुगर का लेवल अधिक होने के कारण भी मरीज सलमा बानो ने हिम्मत और हौंसले के कारण कोविड से जंग जीती.

परिजनों ने चिकित्सकों को गुलदस्ता भेंट किया धन्यवाद

कोविड वार्ड के बाद एमटीसी वार्ड में इलाज करवा रही सलमा बानो ने बताया कि भर्ती के शुरुवाती दौर में हालात बड़े नाजुक हुए. चिकित्सकों के नेतृत्व में नर्सिग स्टॉफ ने निरंतर मॉनिटरिंग करते हुए उनकी बिगड़ती हालत पर काबू पाया. उन्होंने बताया कि कोविड की रिकवरी के समय नर्सिंग प्रभारी मुकेश मीणा के नेतृत्व में प्रदीप कुमार बरवड़, मंजू डूडी, अनिता, सुलोचना, बृजमोहन सोहू सहित नर्सिग स्टॉफ ने मनोबल बढ़ाते हुए लगातार बेहतर इलाज किया, जिसके कारण कोरोना से पूर्ण रूप से स्वस्थ हो पाई. कोविड वार्ड में भर्ती सलमा ने पीएमओ डॉ. वीडी बाजिया, डॉ. कैलाश राहड़, डॉ. कपिल सिहाग, डॉ. प्रमोद तेतरवाल, डॉ. कपूर थालौर, डॉ. राजवीर राव, बृजमोहन सोहु, डॉ. अंजना माथुर, डॉ. नवीद अख्तर, डॉ. रजनेश माथुर, डॉ. जितेन्द्र भांबू सहित पूरी चिकित्सा टीम को आार्शिवाद देते हुए उनकी सलामती के लिए दुआएं कीं.

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